उत्तर 24 परगना. इस्लामिक एसोसिएशन फॉर पीस ने चीन में उइगर मुसलमानों के कथित उत्पीड़न और चीनी मानक मानचित्र 2023 में अरुणाचल प्रदेश के गलत समावेश के खिलाफ शनिवार को उत्तर 24 परगना जिले में चीनी वाणिज्य दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया.
इस्लामिक एसोसिएशन ने बिधाननगर इलाके में स्थित साल्ट लेक में चीनी वाणिज्य दूतावास कार्यालय के सामने सड़क पर पोस्टर और बैनर के साथ विरोध प्रदर्शन किया. इसलिए, किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए इलाके में पुलिस की एक टीम तैनात की गई थी.
प्रदर्शनकारियों ने अरुणाचल प्रदेश को चीनी मानक मानचित्र से बाहर करने और चीन में उइगर मुस्लिम समुदाय के उत्पीड़न को रोकने की भी मांग की. साथ ही उन्होंने चीनी उत्पादों के बहिष्कार की भी मांग की.
एक प्रदर्शनकारी अब्दुल्ला ने बताया, ‘‘हम यहां चीन में उइघुर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ शांतिपूर्वक विरोध करने आए हैं. हम, दुनिया के शांतिप्रिय मुसलमान चाहते हैं कि सभी इंसान शांति से रहें. हम सभी के लिए शांति चाहते हैं. इसलिए हम धरना दे रहे हैं- कुछ समय के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे, ताकि पूरी दुनिया को पता चले कि हम चाहते हैं कि सभी इंसान इंसान बने रहें और कोई भी धर्म के नाम पर अत्याचार न करे. हम यही चाहते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने फेसबुक और यूट्यूब के माध्यम से चीन में मुसलमानों के खिलाफ अत्याचारों को देखा है. इसलिए, हम चीनी सरकार से अपील करेंगे कि वे अपने मुसलमानों को शांति से रखें. सभी को भाइयों की तरह रहना चाहिए, हम भारत, भारतवर्ष से यह अपील कर रहे हैं.’’
चीन पर गंभीर मानवाधिकारों के हनन और अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर शिनजियांग प्रांत में उइघुर समुदाय के लोगों पर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है.
संयुक्त राष्ट्र की ‘झिंजियांग रिपोर्ट’ शीर्षक वाली 2022 की रिपोर्ट में पाया गया कि उइगर और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बीजिंग की कार्रवाई ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ है. 2018 के बाद से, संयुक्त राष्ट्र सहित कई मानवाधिकार निकायों ने बढ़ते मानवाधिकारों के हनन का दस्तावेजीकरण किया है.
हालांकि, उच्च स्वीकृति दर के बावजूद, चीन ने मोटे तौर पर उइगर और तिब्बतियों के अधिकारों, संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग और देश के सभी क्षेत्रों में अप्रतिबंधित संयुक्त राष्ट्र की पहुंच, जबरन गायब करने और मनमाने ढंग से हिरासत में लेने, मृत्युदंड और अंतरराष्ट्रीय अनुसमर्थन संधियों की सिफारिशों को खारिज कर दिया.
हाल ही में, 22 जनवरी से 2 फरवरी तक होने वाले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चौथे यूनिवर्सल पीरियोडिक रिव्यू (यूपीआर) वर्किंग ग्रुप सत्र के दौरान चीन के मानवाधिकार रिकॉर्ड को अंतरराष्ट्रीय जांच का सामना करना पड़ा.
इस बीच, पिछले साल अगस्त में, चीन ने अपने तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ का 2023 संस्करण जारी किया, जिसमें नौ-डैश लाइन पर देश के दावों को शामिल किया गया, जिससे दक्षिण चीन सागर के एक बड़े हिस्से पर दावा किया गया. मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश को भी दिखाया गया है, जिस पर चीन अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में ‘दक्षिण तिब्बत’ होने का दावा करता है.
भारत ने तथाकथित ‘मानक मानचित्र’ में बीजिंग द्वारा किए गए दावों को खारिज करते हुए चीन के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि उनके पास भारत के क्षेत्र पर दावा करने का कोई आधार नहीं है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन की ओर से ऐसे कदम केवल सीमा प्रश्न के समाधान को जटिल बनाएंगे.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उन क्षेत्रों पर दावा करना चीन की श्पुरानी आदतश् है जो उनके नहीं हैं. उन्होंने बीजिंग के ‘बेतुके दावों’ को खारिज कर दिया और कहा, ‘‘मानचित्र जारी करने का कोई मतलब नहीं है.’’
भारत के अलावा, कई अन्य देशों, अर्थात् संयुक्त राज्य अमेरिका, फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम और ताइवान ने भी बीजिंग के कदम की निंदा की.
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