गुलाम कादिर/रांची
प्रतिभाएं केवल आलीशान महलों में नहीं पतलीं, यह एक बार फिर साबित हुआ है. झारखंड की राजधानी रांची के कांके की रहने वाली जीनत परवीन ने झारखंड 12वीं आर्ट्स परीक्षा में सूबे में टॉपर किया है. उनके पिता सब्जी बेचते हैं. इस समय परिवार वित्तीय संघर्षों से जूझ रहा है. इसके बावजूद, जीनत ने पिता की आकांक्षाओं को पूरा करते हुए 94.4 प्रतिशत अंक लाए हैं.
जीनत ने बताया कि कांके बाजार में सब्जी बेचने वाले उनके पिता के अथक प्रयासों ने उन्हें अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित किया. अकादमिक सफलता के अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित, जीनत रोजाना 4 से 5 घंटे पढ़ाई में लगाती थी. यहां तक कि परीक्षा के समय उसने रातों को सोना भी छोड़ दिया था.
जीनत ने गरीबी के चक्र को तोड़ने में शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए अपने माता-पिता के अटूट समर्थन और प्रोत्साहन के लिए आभार व्यक्त किया.अपने पिता के लचीलेपन से प्रेरित होकर, जीनत का लक्ष्य यूपीएससी परीक्षा के माध्यम से आईएएस अधिकारी बनने के अपने सपने को पूरा करके देश की सेवा करना है.
उनकी महत्वाकांक्षा न केवल अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन प्रदान करना है, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करके समाज में योगदान देना भी है, जिसे वह सभी के लिए मौलिक अधिकार मानती हैं.
पढ़ाई के प्रति जीनत का समर्पण उनके अनुशासित दृष्टिकोण को दर्शाता है. उन्होंने अपने शैक्षणिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए सोशल मीडिया और टेलीविजन से दूरी बनाए रखा है. कड़ी मेहनत, निरंतर पुनरीक्षण और कठोर तैयारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की परिणति परीक्षा में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धि के रूप में हुई है.
कभी नहीं सोचा था बनूंगी टॉपर
जीनत ने कहा कि उसे इतना तो भरोसा था कि रिजल्ट बेहतर होगा, लेकिन, यह नहीं सोचा था कि पूरे राज्य में अव्वल रहेगी. जीनत का सपना आईएएस बनने का है. वह कहती हैं, मेरे अब्बू-अम्मी ने कड़ी मेहनत कर हम लोगों की पढ़ाई-लिखाई में कोई कमी नहीं रहने दी. मेरा अरमान है कि मैं उन्हें हर तरह की खुशी देने के काबिल बन सकें.
पिता के आंखों से निकले आंसू
जीनत के पिता साबिर अंसारी को जब यह खबर मिली तो उनकी आंखों से आंसू निकल आए. उन्होंने कहा कि मैं हर रोज आस-पास के बाजार में सब्जी बेचकर परिवार की गाड़ी खींचता हूं. आज बिटिया का जो रिजल्ट आया है, उसने मेरे संघर्ष को सुकून दिया है. बिटिया आगे जहां भी और जैसे भी पढ़ना चाहेगी, उसे पढ़ाएंगे.