नई दिल्ली. बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया है. इस प्रस्तुति में भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन के लिए प्रस्तावित संशोधनों के महत्वपूर्ण निहितार्थों पर प्रकाश डाला गया है.
अपनी रिपोर्ट में, बीसीआई ने एक आधुनिक नियामक ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया, जो ‘प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अधिनियम के प्रस्तावित नाम बदलने में परिलक्षित होता है.
इस परिवर्तन का उद्देश्य पारदर्शिता को बढ़ाना और सामुदायिक कल्याण के लिए वक्फ संपत्तियों का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करना है, जो कानूनी ढांचे को विकसित करने की वकालत करने वाले न्यायिक उदाहरणों से समर्थन प्राप्त करता है, बीसीआई ने अपने प्रेस वक्तव्य में कहा.
बीसीआई ने कहा, ‘‘हमारे विश्लेषण में, हमने विधेयक के कई प्रासंगिक खंडों पर संभावित आलोचनाओं, प्रत्याशित कानूनी चुनौतियों के जवाबों और न्यायशास्त्रीय दृष्टिकोणों को संबोधित किया है. रिपोर्ट को सावधानीपूर्वक संरचित किया गया है, ताकि संशोधनों के इरादे और संभावित प्रभाव का संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत किया जा सके, जिसमें संवैधानिक सिद्धांतों को संरक्षित करते हुए आधुनिक प्रशासनिक आवश्यकताओं पर जोर दिया गया है.’’
यह कहा गया है, ‘‘प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास पर जोर देने के लिए अधिनियम का नाम बदलना एक व्यापक नियामक अद्यतन की आवश्यकता के साथ संरेखित है. यह परिवर्तन पारदर्शिता, दक्षता और सामुदायिक कल्याण के लिए वक्फ संपत्तियों के इष्टतम उपयोग की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाता है, एक बदलाव जो न्यायिक मिसालों द्वारा मान्य है जो समकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित वैधानिक ढांचे का समर्थन करते हैं.’’
रिपोर्ट उन मिसालों की ओर ध्यान आकर्षित करती है, जो ऐतिहासिक निर्णयों का हवाला देते हुए वक्फ संपत्ति प्रबंधन के कानूनी विकास की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं.
इन परिवर्तनों का उद्देश्य कुशल, पारदर्शी प्रथाओं को सुदृढ़ करना है जो धार्मिक सिद्धांतों के प्रति संवेदनशील रहते हुए कुप्रबंधन और अतिक्रमण जैसी ऐतिहासिक चुनौतियों को रोकते हैं.
वक्फ संपत्ति के रिकॉर्ड को केंद्रीकृत करने और डिजिटल दस्तावेजीकरण में तेजी लाने का प्रस्ताव प्रशासनिक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप है. ऐसे उपायों से अनधिकृत अतिक्रमणों में कमी आने और शासन में सुधार होने की उम्मीद है, जिससे अंततः वक्फ समुदाय और आम जनता को लाभ होगा.
संशोधन में वक्फ परिषदों और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों, महिलाओं और विभिन्न संप्रदायों के प्रतिनिधियों को शामिल करने का भी प्रस्ताव है, जिससे समावेशिता बढ़ेगी. यह कदम संतुलित और निष्पक्ष निगरानी को प्रोत्साहित करता है, वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है और समानता और विविधता के सिद्धांतों के साथ संरेखित करता है.
बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने प्रेस बयान में कहा कि ट्रिब्यूनल स्तर से परे अपील की व्यवस्था करके, संशोधन न्यायिक निगरानी को मजबूत करता है और मनमाने या संभावित रूप से पक्षपाती ट्रिब्यूनल निर्णयों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे न्याय और जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है.