Bangladesh's ousted Prime Minister Hasina sentenced to death for "crimes against humanity"
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले वर्ष जुलाई में उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के दौरान किए गए ‘‘मानवता के विरुद्ध अपराधों’’ के लिए सोमवार को एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई गई।
महीनों तक चले मुकदमे के बाद अपने फैसले में बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने 78 वर्षीय अवामी लीग नेता को हिंसक दमन का “मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार” बताया, जिसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। इसी प्रकार के आरोपों में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।
पिछले वर्ष पांच अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश से भागने के बाद से हसीना भारत में रह रही हैं। इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था।
फैसले के कुछ घंटों बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने मांग की कि हसीना और पूर्व गृह मंत्री कमाल को उनकी सजा के मद्देनजर प्रत्यर्पण संधि के तहत तुरंत सौंप दिया जाए।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बंगाली भाषा में एक बयान में कहा, “हम भारत सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इन दोनों दोषियों को तत्काल बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंप दे।”
इसमें कहा गया है, “दोनों देशों के बीच मौजूद प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, यह भारत का कर्तव्य भी है।”
मंत्रालय ने कहा, “यदि कोई अन्य देश मानवता के विरुद्ध अपराध के दोषी इन व्यक्तियों को शरण देता है तो यह अत्यंत गैर मित्रवत कार्य होगा तथा यह न्याय के प्रति अवमानना होगी।”
भारत ने सोमवार को कहा कि उसने हसीना के खिलाफ फैसले पर गौर किया है और वह पड़ोसी देश में शांति, लोकतंत्र और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से बातचीत करेगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “एक करीबी पड़ोसी के रूप में भारत बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें उस देश में शांति, लोकतंत्र, समावेशिता और स्थिरता शामिल है। हम इस दिशा में सभी हितधारकों के साथ सदैव रचनात्मक रूप से जुड़े रहेंगे।”
हालांकि, हसीना के प्रत्यर्पण के ढाका के आह्वान पर भारत की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गयी।