शेख हसीना के बयान प्रकाशित ना करे मीडिया: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 18-11-2025
Bangladesh interim government asks media not to publish Sheikh Hasina's statements
Bangladesh interim government asks media not to publish Sheikh Hasina's statements

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को लेकर चिंताओं का हवाला देते हुए सभी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मी़डिया संस्थानों को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा जारी बयानों की रिपोर्टिंग से बचने की चेतावनी दी है।
 
डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी (एनसीएसए) ने सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया कि हसीना के बयानों में ऐसे निर्देश या आह्वान हो सकते हैं जो "हिंसा, अव्यवस्था और आपराधिक गतिविधियों" को भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने में सक्षम हैं।
 
विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘हम मीडिया से राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में जिम्मेदारी से काम करने का आग्रह करते हैं।’’
 
एजेंसी ने कहा कि वह इस बात से "बेहद चिंतित" है कि कुछ मीडिया संस्थान "दोषी" और "फरार" घोषित हो चुकीं हसीना के नाम पर टिप्पणियां प्रसारित और प्रकाशित कर रहे हैं।
 
एजेंसी ने चेतावनी दी है कि ‘दोषी’ और ‘भगोड़े’ दोनों व्यक्तियों के बयानों को प्रसारित या प्रकाशित करना साइबर सुरक्षा अध्यादेश के प्रावधानों का उल्लंघन है। एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अधिकारियों को "ऐसी सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने का अधिकार है जो राष्ट्रीय अखंडता, सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करती है, जातीय या धार्मिक घृणा को बढ़ावा देती है, या सीधे हिंसा को उकसाती है।"
 
इसमें कहा गया है कि घृणा फैलाने वाले भाषण, जातीय उत्तेजना या हिंसा के लिए आह्वान करने के लिए गलत पहचान का उपयोग करना या अवैध रूप से प्रणाली तक पहुंच बनाना एक दंडनीय अपराध है, और इसके लिए दो साल तक की कैद और/या 10 लाख टका तक के जुर्माने का प्रावधान है।
 
प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करने पर जोर देते हुए एनसीएसए ने मीडिया संस्थानों से आग्रह किया कि वे दोषी व्यक्तियों के किसी भी "हिंसक, भड़काऊ या आपराधिक रूप से उत्तेजक" बयान को प्रसारित करने से बचें और "अपने कानूनी दायित्वों के प्रति सचेत रहें"।
 
हसीना (78) को सोमवार को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा उनकी अनुपस्थिति में "मानवता के विरुद्ध अपराध" के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। यह सजा पिछले वर्ष छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर उनकी सरकार की क्रूर कार्रवाई के लिए दी गई थी।
 
इसी प्रकार के आरोपों में पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है।
 
पिछले साल पांच अगस्त को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश से भागने के बाद से हसीना भारत में रह रही हैं। अदालत ने उन्हें पहले ही भगोड़ा घोषित कर दिया था।
 
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने फैसले की सराहना करते हुए कहा कि इस फैसले ने एक मौलिक सिद्धांत की पुष्टि की है, "कोई भी व्यक्ति, चाहे उसके पास कितनी ताकत हो, कानून से ऊपर नहीं है।"
 
फैसले पर टिप्पणी करते हुए हसीना ने आरोपों को "पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित" बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि यह फैसला एक "धांधली न्यायाधिकरण" द्वारा दिया गया है, जिसकी स्थापना और अध्यक्षता एक "अनिर्वाचित सरकार" द्वारा की गई है, जिसके पास कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है।