शाह इमरान हसन / नई दिल्ली
मुसलमानों ने ईद-उल-अजहा को धूमधाम और समारोह के साथ मनाया. पिछले वर्षों के विपरीत इस बार मुसलमानों द्वारा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा गया. हालांकि कुछ इलाके ऐसे भी थे, जहां साफ-सफाई का अभाव था. हालांकि मस्जिदों के इमामों की ओर से साफ-सफाई का विशेष आह्वान किया गया, लेकिन जो आशंका थी, वही हुआ. कुछ साफ-सफाई का भी अभाव था.
राष्ट्रीय राजधानी के मुस्लिम बहुल इलाके की बात करें, तो कई जगहों पर बलि के जानवरों के शव देखे जा सकते हैं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया और उसके आसपास के इलाकों में कुछ जगहों पर इतनी गंदगी जमा हो गई है कि लोगों का इन रास्तों से गुजरना मुश्किल हो गया है. इन्हीं में से एक है शाहीन बाग इलाका. कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व विधानसभा सदस्य आसिफ मुहम्मद खान का आवास यहां है. उनके आवास से शाहीन बाग गली नंबर 8 तक इतना कूड़ा फैला हुआ है कि लोगों का गुजरना मुश्किल है. इस सड़क को कालंदी कुंज रोड भी कहा जाता है.
हालांकि यह कूड़ा सालों से पड़ा हुआ है. हालांकि ईद-उल-अजहा के बाद वहां गंदगी बढ़ गई. वहां कुर्बानी के पशुओं का कचरा फेंका जाता है. इससे बदबू फैल रही है और बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि जेसीबी वाहन आते हैं और कभी-कभी कचरा उठाते हैं और कभी नहीं उठाते. इसलिए यहां हमेशा कूड़ा पड़ा रहता है.
जब हमने स्थानीय नेताओं, मौलवियों, बुद्धिजीवियों और अधिकारियों से बात की, तो उन्होंने आम तौर पर एमसीडी अधिकारियों को दोषी ठहराया, जबकि कुछ नेताओं ने दावा किया कि वे सफाई कर रहे थे और कचरा उठा रहे थे.
मौलाना मुफ्ती अतहर शम्सी, निदेशक कुरान अकादमी
अल-कुरान अकादमी के निदेशक मौलाना मुफ्ती अतहर शम्सी ने कहा कि स्वच्छता विद्वानों और बुद्धिजीवियों के शब्दों पर आधारित है. चूंकि हमारे देश में धर्म को विशेष महत्व दिया जाता है, इसलिए लोग धार्मिक चीजों का अभ्यास करते प्रतीत होते हैं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह हमारे विद्वान और बुद्धिजीवी आम तौर पर उपवास की नमाज, हज और जकात जैसे धार्मिकता पर जोर देते हैं, वे स्वच्छता पर जोर नहीं देते हैं. लेकिन जब सफाई की बात आती है, तो उनमें रोजा और नमाज जैसी संवेदनशीलता नहीं होती.
मौलाना मुफ्ती अतहर शम्सी ने आगे कहा कि ईद-उल-अजहा के मौके पर हर जगह जानवरों का मलबा देखा जा सकता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि लोग मांस खाने को अपने धर्म का हिस्सा मानते हैं. इसलिए प्रशासन और सरकार को बार-बार जोर देना पड़ता है कि जनता विशेष ध्यान रखे, विद्वानों द्वारा इस संबंध से अवगत कराया जाता है, यह भविष्य में सकारात्मक परिणाम देगा.
आसिफ मुहम्मद खान, पूर्व सदस्य विधानसभा
आवाज-द वॉयस ने जब पूर्व विधानसभा सदस्य और कांग्रेस पार्टी के नेता आसिफ मोहम्मद खान से बात की, तो उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों ने गलत प्रतिनिधियों को चुना है. यह उसकी सजा है. हमने पहले लोगों से कहा था कि वे सही प्रतिनिधि चुनें, ताकि वे समय पर उनकी सेवा कर सकें लेकिन लोगों ने ऐसा नहीं किया. अब उन्हें दंडित किया जा रहा है.
अब्दुल वाजिद खान, पार्षद शाहीन बाग
अबुल फजल एंक्लेव शाहीन बाग के पार्षद अब्दुल वाजिद खान ने आवाज-द-वॉयस को फोन पर बताया कि ईद-उल-अजहा के मौके पर एमसीडी साफ-सफाई का खास ख्याल रखता है. हर साल की तरह इस साल भी हमने कूड़े के ढेरों को चिन्हित किया है. साथ ही एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. कहीं से कोई कॉल आती है, तो हम भी वहीं से कचरा उठाते हैं. जानवरों के कचरे को उठाने के लिए सड़कों के अंदर छोटे वाहन भी हैं.
अब्दुल वाजिद खान ने आगे कहा कि उन्हें मुस्लिम लोगों का भी लगातार समर्थन मिल रहा था. उन्होंने कहा कि शाहीन बाग क्षेत्र के लोग पशुओं का कचरा इधर-उधर नहीं फेंक रहे हैं, बल्कि निर्धारित क्षेत्र में पशुओं का कचरा फेंक रहे हैं.
इसको लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा हो रही है और लोगों ने इसे लेकर मीम्स भी बना लिए हैं. फेसबुक पर एक यूजर मसूद जावेद ने लिखा है कि ऐसे लोग हैं, जो अपने घरों से कचरा उठाते हैं, जिसके लिए वे हर घर से 100 रुपये, 150 रुपये, 200 रुपये प्रति माह वसूलते हैं. निगम अधिकारियों ने कचरा डंप करने के लिए जगह आवंटित कर दी है. उस पर सड़ा और बदसूरत दृश्य जमना साइड विश्वविद्यालय - ओखला प्रधान - कालंदी कुंज - नोएडा रोड. जामिया सनाबेल मस्जिद उमर बिन अल-खत्ताब की चारदीवारी से सटी सड़क के किनारे पूरे इलाके का कचरा इकट्ठा किया जाता है और बाद में निगम के वाहन में उठाया जाता है.
उन्होंने कहा कि शाहीन बाग में शिफा अस्पताल के सामने भी इसी तरह की हरकत की गई. पूरे इलाके से कूड़ा वहीं इकट्ठा किया जाता है और बाद में निगम की गाड़ी से उठा लिया जाता है. जेसीबी से उठाकर ट्रक में डालना कोई नई बात नहीं है, यह तो रोज की बात है और होनी भी है, लेकिन कई दिनों तक नागा के कारण बदबू आती रहती है. इसलिए कचरा संग्रहण के स्थान को बदलना ही एकमात्र उपाय है. या दूसरा विकल्प कचरा घर बनाना है, क्योंकि यहां से दो से तीन किलोमीटर की दूरी पर फ्रेंड्स कॉलोनी, तैमूर नगर और भारत नगर में सड़क किनारे कूड़ाघर हैं.
पिछले वर्षों के विपरीत, इस वर्ष जन जागरूकता का रुझान है, अधिक जागरूकता की आवश्यकता है. यह जागरूकता न केवल ईद-उल-अधा में, बल्कि साल के सभी महीनों में भी देखी जानी चाहिए.