आजाद ने नेकां को दी चुनौती, शेख अब्दुल्ला की विरासत से आगे बढ़ें

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 17-04-2024
Ghulam Nabi Azad
Ghulam Nabi Azad

 

बनिहाल. एनसी अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की विरासत से आगे बढ़ने की चुनौती देते हुए, डीपीएपी अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा और प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान प्रदान किए गए ‘उनके विधायकों’ के समर्थन का जिक्र किया.

उमर अब्दुल्ला 2009 से 2015 तक जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री रहे. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस नेता आजाद ने नेकां पर ‘हिंसा की विरासत, खोखले वादे और जनता का शोषण’ करने का आरोप लगाया.

आजाद ने यहां एक सार्वजनिक रैली में कहा, ‘‘मैं उमर अब्दुल्ला से पूछना चाहता हूं कि अगर आपने छह साल तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया, तो यह मेरे विधायकों के समर्थन के कारण था. मैंने गठबंधन साझा करके आपका कार्यकाल बढ़ाया. आपने कोई उपकार नहीं किया. जिन विधायकों ने आपको मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन दिया था, वे अब भी मेरे साथ हैं.’’

आजाद ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने छह साल के कार्यकाल में उनके विधायकों द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में उमर अब्दुल्ला के हालिया दावों का जवाब देने के लिए ये टिप्पणी की और अब्दुल्ला की ‘कृतज्ञता की कमी’ को उनके चरित्र का संकेत बताया.

आजाद रामबन जिले में अपनी पार्टी के उम्मीदवार जीएम सरूरी के लिए प्रचार अभियान पर हैं, जहां उधमपुर लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और कांग्रेस के चौधरी लाल सिंह के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है.

आजाद ने उथल-पुथल के दौर में फारूक अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री के रूप में वापस लाने में अपनी भूमिका का भी दावा किया. उन्होंने कहा, ‘‘जब फारूक अब्दुल्ला ने आतंकवाद के कारण जम्मू-कश्मीर छोड़ा, तो यह मेरी पहल थी, जो उन्हें वापस ले आई. उस समय, एनसी अनिश्चित स्थिति में थी. हालांकि मैं फारूक अब्दुल्ला का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन उनके बेटे में राजनीतिक परिपक्वता और समझ की कमी दिखती है.’’

आजाद ने नेकां को पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला की विरासत से आगे बढ़ने की भी चुनौती दी, और उन्हीं कठिनाइयों को सहन करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठाया जो उन्होंने किया था. आजाद ने कहा, ‘‘वे कब तक शेख अब्दुल्ला की विरासत का आनंद लेंगे? वे उसकी तरह एक दिन भी जेल में नहीं बिता सकते थे. वे अपने दम पर कुछ भी महत्वपूर्ण हासिल किए बिना उनकी राजनीतिक आड़ में सवारी कर रहे हैं.’’