फरहान इसराइली/ जयपुर
अभिनय की दुनिया में बेस्ट अभिनेता कहलाने वाले इरफान खान जयपुर के रहने वाले थे.अपनी अभिनय कला और अपनी शख्सियत से उन्होंने करोड़ो दिलों में घर बनाया.आज भले ही वो हमारे बीच नहीं, लेकिन उनका हुनर उनके फैंस के दिलों में जिंदा है.
इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 को जयपुर में हुआ था.इरफान के पिता यासीन खान और मां का नाम सईदा बेगम था.इरफान खान का घर जयपुर में पुराने शहर में है,जहां उनके दो भाई रहते हैं.इरफान खान के तीन भाई बहन हैं.इरफान की बहन रुकसाना हैं,जो उनसे बड़ी हैं.दो छोटे भाई हैं.इमरान खान और सलमान खान.इरफान खान के ननिहाल जयपुर से 100 किलो मीटर की दूरी पर टोंक में है.उनका बचपन जयपुर के परकोटे में गुजरा.
जयपुर में इरफान के करीबी बताते हैं कि उनको बचपन से ही एक्टिंग का शौक था.साथ ही इरफान को पतंगबाजी में भी काफी दिलचस्पी थी.वो वक्त निकालकर जयपुर में खास तौर पर पतंगबाजी के लिए आते थे. पतंगबाजी के अलावा इरफान खान को क्रिकेट का भी बड़ा शौक था.
इरफान के दोस्त बताते हैं कि उन्हें क्रिकेट खेलने का भी शौक था.वे जयपुर के चौगान स्टेडियम में क्रिकेट खेलने जाया करते थे.इसके चलते उनका चयन सीके नायडू ट्रॉफी के लिए भी हो गया था.इसके बावजूद उनके परिवार ने उन्हे क्रिकेट में करियर बनाने की इजाजत नहीं दी. फिर वे क्रिकेट से दूर होते चले गए और थिएटर से जुड़े.उनके पिता याकूब खान जयपुर के सुभाष चौक में टायरों का काम करते थे.उनका टायर रिट्रीडिंग का काम था.यहीं सईदा मंजिल में उनका मकान हुआ करता था.
जयपुर के सैंट पॉल्स स्कूल में पढते थे.बाद में यही के राजस्थान कॉलेज से आगे की पढाई की, लेकिन पढाई से ज्यादा थिएटर में मन लगता था तो जयपुर का रवीन्द्र रंगमंच उनकी पहली मंजिल बना उन्होंने जयपुर में अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की.एक्टिंग में हाथ आजमाने के लिए रवींद्र मंच ज्वाइन कर लिया.उसके बाद उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हो गई.
शुरूआती दौर में उनके साथ थिएटर करने वाले जयपुर के रंगकर्मी रियाज हसन बताते हैं कि मेरा मकान और उनकी दुकान आमने सामने ही थे.एक दिन यूं ही मिल गए थे और बोले कि थिएटर करना है, तो हमने साथ शुरूआत कर दी.तीन चार प्ले किए.
इस बीच पिता का इंतकाल हो गया तो परिवार की चिंता में टायर रिट्रीडिंग का काम सम्भाल लिया.लेकिन मन नहीं लगा.बाद में भाइयों को काम सौंप कर वो अपनी मंजिल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की ओर बढ़ लिए.जयपुर के पुराने पत्रकार इकबाल खान बताते हैं कि उन्होंने मन्नू भंडारी के उपन्यास पर आधारित महाभोज नाम से एक नाटक किया था.इसमें उन्हें जो रोल मिला था, उसमें कोई संवाद नहीं था, लेकिन अपनी आंखों से ही उन्होंने ऐसा काम किया कि पूरे हॉल में तालियों से गूंज उठा.
रवींद्र मंच से अपने हुनर को आगे बढ़ाने के लिए इरफान दिल्ली चले गए गए.दिल्ली में उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया.जहां से उन्होंने हुनर के जरिए दुनिया को दीवाना बनाया.इंतेकाल से कुछ साल पहले ही इरफान अपने पुराने दिनों की यादों को ताजा करने के लिए जयपुर आए थे.जहां उन्होंने अपने बचपन के शौक पतंगबाजी को पूरा किया.इरफान खान के दोस्तों के मुताबिक इरफान कोई भी काम पूरे परफेक्शनक के साथ किया करते थे.
कैंसर ने ली एक्टर की जान
इरफान खान को जानने वाले उन्हें जितना अच्छा एक्टर मानते थे, उतना ही अच्छा व्यक्ति भी बताते हैं.29 अप्रैल, 2020 को कोकिलाबैन हॉस्पिटल में कैंसर से उनकी मौत हो गई.इरफान खान ने नेशलन स्कूल ऑफ ड्रामा में साथ पढ़ने वालीं सुतपा सिकदर से 1995 में शादी की थी.दोनों के दो बच्चे बबिल और आयान हैं.इरफान के बड़े बेटे बाबिल बॉलीवुड में कदम रख चुके हैं.