भारत-बांग्लादेश संबंधों में पूर्वोत्तर देश को ‘बड़ा लाभार्थी’ हैः एस जयशंकर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-04-2024
S Jaishankar
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नई दिल्ली. पूर्वोत्तर भारत को भारत-बांग्लादेश संबंधों में सुधार का ‘बड़ा लाभार्थी’ बताते हुए, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत के विभाजन के बाद पहले कुछ दशकों में, कई तरीकों से, क्षेत्र का विकास अवरुद्ध हो गया. उन्होंने यह कहते हुए कि कई कारकों ने भूमिका निभाई, जिसमें राजनीतिक बाधाएं, साथ ही प्रशासनिक मुद्दे भी शामिल थे और यह भी कहा कि ‘‘एक तरह से, जो हम अब देख रहे हैं, वह कुछ ऐसा है, जो बहुत पहले होना चाहिए था, यदि इतिहास हमारे प्रति दयालु होता.’’

नई दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में दक्षिण पूर्व एशिया और जापान के साथ पूर्वोत्तर भारत के एकीकरण पर एक इंटरैक्टिव सत्र के दौरान, जयशंकर ने कहा, ‘‘भारत के विभाजन ने कई मायनों में उस प्राकृतिक कनेक्टिविटी को तोड़ दिया या कमजोर कर दिया, जो पूर्वोत्तर भारत ने हासिल की थी और करता रहेगा. हमारे विभाजन के बाद पहले कुछ दशकों में, पूर्वोत्तर भारत को विकास का जो स्तर देखना चाहिए था, हमने वास्तव में उसे अवरुद्ध होते देखा, क्योंकि उन्हें उन सभी लाभों का आनंद नहीं मिला, जो भारत के कई अन्य हिस्सों को प्राप्त थे, केवल इसलिए, क्योंकि वहां राजनीतिक बाधाएं, प्रशासनिक मुद्दे और इसलिए, एक तरह से, जो हम अभी देख रहे हैं वह कुछ ऐसा है, जो बहुत पहले आ जाना चाहिए था यदि इतिहास हमारे प्रति दयालु होता.’’

उन्होंने क्षेत्र में विकास की सराहना करते हुए कहा कि कैसे इसने ढाका के साथ नई दिल्ली के संबंधों को बढ़ावा दिया. उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप पिछले दशक को देखें, तो पूर्वोत्तर भारत वास्तव में भारत-बांग्लादेश संबंधों में इस नाटकीय सुधार का एक बड़ा लाभार्थी रहा है, जब हमने 2015 में भूमि सीमा समझौता किया था, एक बार चीजें शांत हो गईं, तो विश्वास का एक नया स्तर था और भारत और बांग्लादेश के बीच विश्वास....’’

विदेश मंत्री ने आगे रेखांकित किया कि कैसे वह ‘हमेशा लोगों से कहते हैं, भारत को पूर्व की ओर देखना चाहिए’, और कहा कि ‘दिल्ली को पहले पूर्व की ओर देखना चाहिए और फिर उत्तर-पूर्व को देखना चाहिए.’ जयशंकर ने कहा, ‘‘यह तब है जब पूर्वोत्तर की क्षमता और संभावनाओं की पूरी तरह से सराहना की जाती है.’’

विशेष रूप से, भारत और बांग्लादेश इतिहास, भाषा, संस्कृति और कई अन्य समानताओं के बंधन साझा करते हैं. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध संप्रभुता, समानता, विश्वास और समझ पर आधारित एक सर्वव्यापी साझेदारी को दर्शाते हैं, जो रणनीतिक साझेदारी से कहीं आगे जाती है.

अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत को विकसित देश बनाने में नॉर्थ ईस्ट की बड़ी भूमिका है. प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि भाजपा उत्तर पूर्व के लिए ‘हीरा’ (राजमार्ग, इंटरनेट, रेलवे और वायुमार्ग) विकास मॉडल की दिशा में काम कर रही है, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों को जोड़ने के लिए एक बड़े कनेक्टिविटी दृष्टिकोण के पुल के रूप में कार्य करेगा.

यह परियोजना भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देना और उत्तर पूर्व के लिए श्भ्प्त्.श् विकास मॉडल के अनुरूप है. यह पुल उत्तर-पूर्वी राज्यों को भूमि, जल, वायु और इंटरनेट के माध्यम से पड़ोसी देशों के साथ जोड़ने की एक बड़ी कनेक्टिविटी दृष्टि का एक हिस्सा है.

 

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