Around 1.3 million transformers fail every year in India.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
खराब मरम्मत, असंतुलित लोडिंग और मौसम संबंधी प्रभावों जैसे कई कारणों से भारत में प्रतिवर्ष लगभग 13 लाख ट्रांसफार्मर खराब होते हैं। एक सरकारी समिति ने यह बात कही है।
बिजली ट्रांसफार्मर, बिजली के पारेषण और वितरण में उपयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
वितरण ट्रांसफार्मर पर एक बैठक में, इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ‘‘ट्रांसफार्मर की विफलता का दर औसतन लगभग 10 प्रतिशत है, जो प्रतिवर्ष लगभग 13 लाख ट्रांसफार्मर खराब होने के बराबर है।’’
यह बैठक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में बिजली क्षेत्र के उपकरणों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार पर हुए विचार-विमर्श के अनुरूप आयोजित की गई थी।
आज जारी मानकीकरण प्रकोष्ठ की बैठक के ब्योरे के अनुसार, केरल को एक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया गया है जहां विफलता दर 1.9 प्रतिशत है, जबकि कुछ उत्तरी राज्यों में यह दर 20 प्रतिशत से अधिक है।
चर्चा के दौरान, अन्य बातों के अलावा ओवरलोडिंग, खराब अर्थिंग और अनुचित फ़्यूज़ समन्वय जैसे कारण, ट्रांसफार्मर की विफलताओं के प्रमुख कारण बन कर उभरे।
खराब ब्रेज़िंग और क्लैम्पिंग, अपर्याप्त इन्सुलेशन और सेल्यूलोज़ इन्सुलेशन में नमी जैसी विनिर्माण संबंधी कुछ समस्याएं भी कारणों में शमिल हैं।
‘‘तेल चोरी, छेड़छाड़, खराब मरम्मत और मौसम के प्रभाव’’ आदि जैसे बाहरी कारण भी ट्रांसफार्मर की विफलताओं में योगदान करते हैं।
उद्योग प्रतिनिधियों ने एक आधुनिक सीलिंग तंत्र अपनाने और इन्सुलेशन स्वास्थ्य के लिए टैन डेल्टा परीक्षण को शामिल करने की सिफारिश की।
उन्होंने एक तृतीय-पक्ष बिजली गुणवत्ता ऑडिट और वोल्टेज निगरानी का भी सुझाव दिया।