किन्नौर (हिमाचल प्रदेश)
साहस, धैर्य और सैन्य-नागरिक एकजुटता का परिचय देते हुए माउंट रियो परगियल अभियान 9 सितंबर को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कठिन हिमालयी शिखर पर पहुंचकर दल ने तिरंगा फहराया।
यह अभियान ऑपरेशन सद्भावना के अंतर्गत आयोजित किया गया, जो भारतीय सेना और स्थानीय नागरिकों के बीच साहसिकता और साझेदारी की भावना का प्रतीक है। आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अभियान की शुरुआत 23 अगस्त को पूह से लेफ्टिनेंट जनरल डी.जी. मिश्रा, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, उत्तर भारत क्षेत्र ने हरी झंडी दिखाकर की थी। इसमें 17 नागरिकों के साथ सेना के कुछ सदस्य मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण के लिए शामिल थे।
दल ने कठिन प्रशिक्षण लिया, जिसमें ऊँचाई के अनुकूलन, रॉक क्लाइम्बिंग, जूमरिंग, रैपलिंग और बेस सुरक्षा जैसी तकनीकें शामिल थीं। इसके बाद उन्होंने नाको, बेस कैंप, एडवांस्ड बेस कैंप और समिट कैंप तक की यात्रा पूरी की। कई बार खराब मौसम का सामना करने के बावजूद टीम ने 9 सितंबर को शिखर फतह किया।
यह अभियान न केवल शारीरिक सहनशक्ति और मानसिक दृढ़ता की परीक्षा था, बल्कि दुर्गम भूभाग और कठोर जलवायु के बीच अटूट संकल्प का भी प्रतीक बना।
पूह में आयोजित फ्लैग-इन समारोह में टीम को उनके जज्बे और उपलब्धि के लिए सराहा गया। सेना के अधिकारियों ने कहा कि यह अभियान सेना और नागरिकों के बीच तालमेल और विश्वास का प्रमाण है, जो ऑपरेशन सद्भावना की भावना—विश्वास, साहस और साझा उपलब्धि—को अभिव्यक्त करता है।
माउंट रियो परगियल अभियान भारत की साहसिक भावना, सेना की सैन्य-नागरिक संबंधों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता और प्रकृति की कठिन चुनौतियों पर मानव इच्छाशक्ति की विजय का प्रतीक बनकर सामने आया।