आंध्र सरकार ने हिंसा प्रभावित नेपाल से 150 से अधिक तेलुगु नागरिकों को सुरक्षित निकाला

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 12-09-2025
Andhra government rescued more than 150 Telugu citizens from violence-hit Nepal
Andhra government rescued more than 150 Telugu citizens from violence-hit Nepal

 

अमरावती

नेपाल में जारी हिंसा के बीच, आंध्र प्रदेश सरकार ने 150 से अधिक तेलुगु नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की है। सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी, जिसके बाद कई यात्रियों ने राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया।

यात्रियों की आपबीती

नेपाल से लौटे कई यात्रियों ने अपने भयानक अनुभव साझा किए। पोखरा में ठहरे एक यात्री, के. मुरली ने बताया, "हमारा पोखरा वाला होटल जला दिया गया था, लेकिन आंध्र प्रदेश के अधिकारियों ने हमें सुरक्षित बाहर निकाला और वापस घर पहुंचाया।" एक अन्य यात्री, प्रभाकर रेड्डी, जो अपनी पत्नी और 81 अन्य लोगों के साथ लौटे, ने कहा, "मैंने काठमांडू में लोगों को पत्थरबाजी करते और इमारतों को जलाते देखा। यह एक भयावह सपना था।"

कई यात्री भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के कर्मचारी थे, जो एक पूर्व निर्धारित यात्रा पर नेपाल गए थे। होटल जलाए जाने के बाद उन्होंने दूसरे होटल में शरण ली थी।

बचाव अभियान की जानकारी

तेदेपा द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा चलाए गए इस बड़े बचाव अभियान का समापन तब हुआ, जब 154 यात्रियों को लेकर एक विमान बृहस्पतिवार देर रात विशाखापट्टनम पहुंचा और फिर तिरुपति के लिए रवाना हुआ। यह राहत प्रक्रिया लगातार दो दिनों तक चली।

कुल 154 तेलुगु यात्रियों में से 144 काठमांडू से, 10 पोखरा से और 12 सिमिकोट से विमान के जरिए नेपालगंज पहुँचे। इसके अलावा, 22 लोग सड़क मार्ग से बिहार पहुँचे। विशेष विमान ने काठमांडू से 114 यात्रियों को विशाखापट्टनम और शेष 40 को तिरुपति पहुँचाया।

कुछ यात्रियों ने उठाए सवाल

हालांकि, इस बचाव अभियान को लेकर कुछ यात्रियों ने अपनी शिकायतें भी जाहिर की हैं। कुर्नूल जिले के 50 यात्रियों के समूह का नेतृत्व करने वाले पी. सुब्रमण्यम ने दावा किया कि राज्य सरकार द्वारा जारी की गई हेल्पलाइन विफल रही। उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' को फोन पर बताया, "अधिकारियों ने निकासी को लेकर कोई ठोस भरोसा नहीं दिया। यात्रियों में 50 प्रतिशत महिलाएँ थीं, जिन्हें भोजन की कमी और महंगाई का सामना करना पड़ा।"

सुब्रमण्यम ने कहा कि वे सरकार के प्रयासों को स्वीकार करते हैं, लेकिन जवाबदेही भी जरूरी है। उन्होंने पूछा, "सभी हमारी स्थिति जानते थे, फिर भी मदद नहीं पहुँची। अगर हमारे साथ कुछ हो जाता तो जिम्मेदार कौन होता?"

नेपाल में राजनीतिक संकट

नेपाल में यह हिंसा प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद भी जारी रही। प्रदर्शनकारी उनके कार्यालय में घुस गए थे और भ्रष्टाचार तथा सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत पर उनके इस्तीफे की मांग की थी। सोशल मीडिया पर लगी रोक सोमवार रात हटा ली गई थी, लेकिन हिंसा नहीं रुकी और प्रदर्शनकारियों ने संसद, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी कार्यालयों और राजनीतिक दलों के दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया।