आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य राघव चड्ढा ने बृहस्पतिवार को डिजिटल सामग्री के रचनाकारों के हितों की रक्षा के लिए कॉपीराइट अधिनियम, 1957 में महत्वपूर्ण संशोधनों की मांग की और कहा कि उनकी आजीविका “मनमाने एल्गोरिदम” से नहीं, बल्कि कानून से तय होनी चाहिए।
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए पंजाब से आप सांसद ने कहा कि देश में लाखों भारतीय डिजिटल सामग्री के रचनाकार (डिजिटल कंटेंट क्रिएटर) बन चुके हैं, जो शिक्षक, समीक्षक, व्यंग्यकार, मनोरंजनकर्ता, संगीतकार और इन्फ्लुएंसर के रूप में काम कर रहे हैं।
चड्ढा ने कहा, “चाहे वह उनका यूट्यूब चैनल हो या इंस्टाग्राम पेज, यह उनके लिए सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है। वास्तव में, यही उनकी आय का स्रोत है, उनकी संपत्ति है। यह उनकी मेहनत का फल है।”
उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उचित उपयोग और कॉपीराइट के कथित मनमाने उल्लंघन के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि डिजिटल सामग्री के रचनाकारों को तब भी अपने चैनल खोने का खतरा रहता है, जब वे टिप्पणी, आलोचना, पैरोडी, शैक्षणिक या समाचार रिपोर्टिंग के उद्देश्य से केवल दो-तीन सेकंड के लिए कॉपीराइट वाली सामग्री का उपयोग करते हैं।