आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
श्रम कानूनों को लागू करने, न्यूनतम मजदूरी, ओवरटाइम भुगतान और "श्रमिकों के उत्पीड़न" को समाप्त करने की मांग को लेकर श्रमिकों द्वारा शुरू की गई 48 घंटे की हड़ताल के कारण शुक्रवार को राज्य भर में एम्बुलेंस सेवाएं ठप हो गईं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआईटीयू) के अंतर्गत आने वाले 108 और 102 एम्बुलेंस वर्कर्स यूनियन से संबद्ध हजारों एम्बुलेंस कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर राज्य भर के जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया।
शिमला में कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और बाद में एनएचएम के प्रबंध निदेशक को एक ज्ञापन सौंपा। प्रबंध निदेशक ने उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर ध्यान दिया जाएगा।
सीआईटीयू के राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने एनएचएम के तहत श्रमिकों के शोषण की आलोचना करते हुए सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान न होने और छुट्टी न दिए जाने जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, "जब श्रमिक अपनी मांगों के लिए आवाज उठाते हैं, तो उन्हें मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, बल्कि यूनियन नेताओं को धमकियों, तबादलों या जबरन इस्तीफे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।"
मेहरा ने यह भी चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और तेज हो जाएगा।