लंदन,
अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे यूक्रेन में युद्धविराम देखना चाहते हैं और यदि इस पर सहमति नहीं बनी तो वे ‘‘खुश नहीं होंगे’’।
हालांकि, बैठक के बाद ट्रंप ने साफ किया कि कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ। उन्होंने पत्रकारों से कहा, “हम अभी वहां तक नहीं पहुंचे हैं”, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि “बहुत प्रगति हुई है”।
ट्रंप ने संकेत दिया कि आने वाले हफ्तों में पुतिन से बातचीत जारी रहेगी और अगली मुलाकात मॉस्को में हो सकती है। वहीं, पुतिन इस उम्मीद में हैं कि यूक्रेन पर सैन्य दबाव बनाए रखकर वे क्षेत्रीय रियायतों की अपनी मांग को मनवा सकें।
फॉक्स न्यूज से बातचीत में ट्रंप ने जब यह सवाल किया गया कि युद्ध कैसे खत्म हो सकता है और क्या जमीन की अदला-बदली होगी, तो उन्होंने कहा, “ये ऐसे बिंदु हैं जिन पर हम काफी हद तक सहमत हैं।”
मॉस्को की ओर से क्षेत्रीय रियायतें किसी भी शांति समझौते की पहली शर्त रही हैं। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने दोहराया है कि कीव जमीन छोड़ने पर राजी नहीं होगा, क्योंकि यह देश के संविधान के खिलाफ है और किसी भी बदलाव के लिए जनमत संग्रह जरूरी है।
इस बीच, रूस ने रातोंरात 300 से ज्यादा ड्रोन और 30 मिसाइलों से यूक्रेनी शहरों पर नए हमले किए।
विश्लेषकों का मानना है कि ‘‘जमीन के बदले युद्धविराम’’ का समझौता यूक्रेन और यूरोप की सुरक्षा को मजबूत नहीं करेगा। बल्कि इससे रूस को अंदरूनी अस्थिरता पैदा करने का और मौका मिलेगा।
ऐसा समझौता यूक्रेन के भीतर जनमत को भी बांट सकता है और लोग सवाल कर सकते हैं कि “हम आखिर किसके लिए लड़ रहे हैं?”
निष्कर्षतः, युद्धविराम के बदले जमीन देने की कोई भी कोशिश बेकार सौदा साबित होगी और इससे यूक्रेन व पश्चिम के लिए और भी जटिलताएं पैदा होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप को आगे की वार्ताओं में यूक्रेन पर ऐसे किसी समझौते के लिए दबाव डालने से बचना चाहिए।