शिमला (हिमाचल प्रदेश)
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले ही दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। हालिया प्राकृतिक आपदा पर चर्चा के लिए नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव लिया गया।
विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने भाजपा और आम जनता द्वारा भेजी गई राहत सामग्री को अपने नाम से श्रेय लेने के लिए हड़पने की कोशिश की।
उन्होंने दावा किया कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में एयरड्रॉप किया गया राशन कांग्रेस नेता के घर पर जमा किया गया, जबकि भाजपा द्वारा भेजे गए राहत ट्रकों को नाकों पर रोककर दबाव डाला गया कि सामग्री स्थानीय प्रशासन को सौंप दी जाए।
“सरकार का रवैया दुर्भाग्यपूर्ण” – ठाकुर
जयराम ठाकुर ने विधानसभा में कहा:"आपदा के समय सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण रहा। मुख्यमंत्री कहते हैं कि नुकसान हज़ारों करोड़ का है, लेकिन सड़कों की बहाली के लिए मात्र 2 करोड़ रुपये दिए। 45 दिन बाद भी सड़कें बंद हैं। हमें निजी जेसीबी लगवाकर सड़कों को बहाल करना पड़ा।"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी संरक्षण प्राप्त नेता आपदा को अवसर में बदलकर भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर रहे हैं। भाजपा द्वारा बहाल की गई सड़कों का उपयोग कांग्रेस नेताओं के नाम पर टेंडर निकालने के लिए किया जा रहा है।
“आसमान नहीं फटेगा” बयान पर बवाल
बहस उस समय गरमा गई जब संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने स्थगन प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा:"आसमान नहीं फट जाएगा।"
इस पर भाजपा विधायकों ने विरोध जताते हुए नारे लगाए:"आसमान तो फटा है, तभी इतना नुकसान हुआ है।"
जयराम ठाकुर ने तीखी आपत्ति जताई और कहा कि मंत्री त्रासदी को हल्का दिखा रहे हैं, जबकि "कई लोगों ने अपनी जान, घर, ज़मीन और मवेशी खो दिए हैं।"
मुख्यमंत्री का पलटवार
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष को याद दिलाया कि 2023 में ऐसे ही मुद्दे पर भाजपा ने वॉकआउट किया था।
सिराज विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर मुख्यमंत्री ने कहा:"अगर वे माफ़ी मांग लें तो सरकार एफआईआर वापस ले लेगी। मंत्री की गाड़ी पर हमला करना, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान और राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करना देश का अपमान है।"
विधानसभा से बाहर जयराम ठाकुर का बयान
विधानसभा से बाहर एएनआई से बातचीत में जयराम ठाकुर ने दोहराया कि सरकार आपदा से निपटने को लेकर गंभीर नहीं है।
उन्होंने कहा:"हिमाचल की इस त्रासदी में भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान हुआ है। यह मुद्दा प्राथमिकता का होना चाहिए, लेकिन सरकार ने सत्र के पहले दिन ही चर्चा से बचने की कोशिश की। इससे साफ है कि वे गंभीर नहीं हैं।"
ठाकुर ने सरकार से मांग की कि:
पुनर्स्थापन कार्य में तेजी लाई जाए।
विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तत्काल तैयार की जाए।
केंद्र से अधिकतम सहायता मांगी जाए।
आपदा संभावित क्षेत्रों की पहचान कर शरण गृह और प्री-फैब्रिकेटेड संरचनाएं तैयार की जाएं, ताकि विस्थापित परिवारों को सर्दियों से पहले आश्रय मिल सके।