‘Account aggregator’ ecosystem will open new frontiers in formal credit access: Finance Ministry
नयी दिल्ली
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ परिवेश औपचारिक ऋण पहुंच में विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) एवं व्यक्तिगत ऋण के लिए नए आयाम खोलने के लिए तैयार है। यह 2047 तक विकसित भारत की दिशा में भारत की यात्रा में सार्थक योगदान देगा।
‘अकाउंट एग्रीगेटर’ (एए) ढ़ांचे को आधिकारिक तौर पर दो सितंबर 2021 को पेश किया गया। इससे वित्तीय डेटा साझा करने के लिए एक सुरक्षित, सहमति-आधारित प्रणाली स्थापित हुई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 2016 में एए परिवेश के लिए व्यापक निर्देश जारी किए थे।
मंत्रालय ने चौथी वर्षगांठ के अवसर पर बयान में कहा कि एए परिवेश तेजी से विकसित हुआ है। बैंकिंग, प्रतिभूति, बीमा एवं पेंशन क्षेत्रों में तेजी से अपनाया जा रहा है जिससे भारत का डीपीआई (डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा) मजबूत हो रहा है।
आज तक 112 वित्तीय संस्थान वित्तीय सूचना प्रदाता (एफआईपी) और वित्तीय सूचना उपयोगकर्ता (एफआईयू) दोनों के रूप में सक्रिय हो चुके हैं जबकि 56 केवल एफआईपी और 410 एफआईयू के रूप में सक्रिय हुए हैं।
एए ढांचे के माध्यम से अब 2.2 अरब से अधिक वित्तीय खाते सुरक्षित, सहमति-आधारित डेटा साझाकरण के लिए सक्षम हैं जिनमें से 11.23 करोड़ उपयोगकर्ता पहले ही अपने खातों को लिंक कर चुके हैं जो इस परिवर्तनकारी पहल में बढ़ते पैमाने एवं विश्वास को रेखांकित करता है।
इसमें कहा गया कि 2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान एए को एक आधारभूत डीपीआई के रूप में मान्यता दी गई ।
जुलाई 2024 में जारी ‘डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर भारत के जी20 कार्यबल की रिपोर्ट’ में भी इसके महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है।