A group of students gathered at AMU for a "reading of the Babri verdict" programme was removed.
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अधिकारियों ने बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के 2019 के फैसले के कानूनी, संवैधानिक और समाजशास्त्रीय निहितार्थों पर चर्चा करने के लिए आयोजित ‘‘बाबरी फैसले का पाठ’’ नामक एक कार्यक्रम के लिए शनिवार को एकत्र हुए छात्रों के एक समूह को तितर-बितर कर दिया।
यह घटना बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी के दिन हुई। कार्यक्रम के आयोजक ‘‘स्टूडेंट कलेक्टिव’’ के एक प्रवक्ता ने संवाददाताओं को बताया कि कला संकाय के लॉन में एक ‘‘शैक्षणिक अभ्यास’’ के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने रोक दिया। उन्होंने दावा किया कि आयोजकों ने अनुमति के लिए आवेदन किया था, लेकिन ‘‘बिना किसी कारण’’ के इसे अस्वीकार कर दिया गया।
हालांकि, एएमयू प्रॉक्टर प्रो. मोहम्मद वसीम ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि इस चर्चा की घोषणा करने वाला एक सोशल मीडिया पोस्ट बृहस्पतिवार को ‘‘बिना किसी स्रोत के’’ प्रसारित हुआ, जिसके बाद विश्वविद्यालय ने इस पर ध्यान दिया।