नई दिल्ली
इराक से आया एक 7 वर्षीय बच्चा, जो एक गंभीर हृदय गति विकार इनसेसेंट टैकिकार्डिया से पीड़ित था, को नई दिल्ली के डॉक्टरों ने एक दुर्लभ और जीवनरक्षक हृदय प्रक्रिया के माध्यम से नया जीवन दिया।
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट (FEHI) में कार्डियक पेसिंग और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विभाग की निदेशक डॉ. अपर्णा जसवाल और वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अमितेश चक्रवर्ती के नेतृत्व में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने यह जटिल प्रक्रिया सफलतापूर्वक अंजाम दी।
इस बच्चे के दिल में जन्म से ही एक असामान्य इलेक्ट्रिकल सर्किट था। जब उसे फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, ओखला लाया गया, तब उसकी धड़कन 170 से 200 बीट प्रति मिनट थी, जबकि सामान्य बच्चों में यह 75 से 118 के बीच होती है।
बच्चे का वजन महज 26 किलो था और वह कई वर्षों से इस समस्या से जूझ रहा था। इराक में डॉक्टरों ने उसके छोटे कद और आयु के चलते सर्जरी का जोखिम उठाने से इनकार कर दिया था और उसे लंबे समय तक उच्च खुराक वाली दवाओं पर रखा गया, जिससे उसकी जीवन गुणवत्ता बेहद प्रभावित हुई।जब कोई विकल्प नहीं बचा, तो उसके माता-पिता भारत लेकर आए, जहाँ उन्होंने विशेषज्ञ उपचार की आशा की।
डॉक्टरों ने बच्चे पर इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी स्टडी और रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन की योजना बनाई—यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हृदय के दोषपूर्ण ऊतक को गर्मी से नष्ट कर दिया जाता है ताकि असामान्य धड़कनों को रोका जा सके।
आमतौर पर यह प्रक्रिया 30 किलो से कम वजन वाले बच्चों में नहीं की जाती, क्योंकि इसमें दिल की नाजुक संरचना और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचने का खतरा रहता है। लेकिन डॉक्टरों ने विशेष सावधानी और आधुनिक तकनीक के साथ दो घंटे की मेहनत में बच्चे की धड़कन सामान्य कर दी।
डॉ. अपर्णा जसवाल ने बताया,"यह मामला बेहद जटिल था। सामान्यतः हम इस प्रक्रिया को तब तक टालते हैं जब तक बच्चा 30 किलो से अधिक न हो जाए, लेकिन इस बच्चे की हालत लगातार बिगड़ रही थी और देर करने से दिल फेल होने का खतरा था। हमने सावधानीपूर्वक योजना बनाकर सही उपकरणों के साथ प्रक्रिया को सफल बनाया। बच्चे को एक सप्ताह में सामान्य जीवन में लौटता देखना बेहद सुकून देने वाला है।"
उन्होंने यह भी बताया कि"सुप्रावेंट्रिकुलर टैकिकार्डिया (SVT), बच्चों में सबसे सामान्य प्रकार की एरिदमिया (दिल की धड़कनों में गड़बड़ी) है और यह विश्व स्तर पर प्रति 1,000 बच्चों में से 1 को प्रभावित करती है। इस केस की सफलता दिखाती है कि हमारे यहां कितना उच्च स्तरीय बच्चों का कार्डियक केयर मौजूद है।"
डॉ. विक्रम अग्रवाल, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट के फ़ैसिलिटी डायरेक्टर ने कहा:"हमारा संस्थान शुरू से ही उन्नत कार्डियक साइंस में अग्रणी रहा है। हमारे पास एक विशेष 'पीडियाट्रिक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी प्रोग्राम' है, जो देश के कुछ चुनिंदा केंद्रों में से एक है जहाँ सबसे छोटे और जटिल मरीजों का इलाज संभव है। हर साल भारत और विदेश से ऐसे बच्चे यहाँ इलाज के लिए आते हैं, जिन्हें अपने देश में यह सुविधा नहीं मिल पाती।"
इस जीवनरक्षक प्रक्रिया के बाद बच्चा अब सामान्य जीवन जी रहा है। वर्षों की पीड़ा और सीमाओं के बाद उसे न केवल एक स्वस्थ दिल मिला है, बल्कि एक नया भविष्य भी।