खेल, सेवा और संकल्प: 'प्रोजेक्ट ब्रह्मास्त्र' से युवाओं को मिल रही नई पहचान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 07-10-2025
Sports, service and determination: 'Project Brahmastra' is giving youth a new identity
Sports, service and determination: 'Project Brahmastra' is giving youth a new identity

 

भक्ती चालक

आधुनिक युग के नारको-टेररिज्म और साइबर-टेररिज्म जैसे अदृश्य दुश्मनों को हराने के लिए अब खेल का मैदान ही रणभूमि बन गया है.महाराष्ट्र के पुणे शहर की एक सामाजिक संस्था 'वाटो ट्रस्ट' (WATO) ने भारतीय सेना की 'असम राइफल्स', 'असम रेजिमेंट' और 'टेरिटोरियल आर्मी मिजोरम' जैसी इकाइयों के साथ मिलकर मिजोरम में 'प्रोजेक्ट ब्रह्मास्त्र: टैलेंट हंट प्रोग्राम' नामक एक अनोखी पहल शुरू की है.

इस पहल का नाम 'प्रोजेक्ट ब्रह्मास्त्र' रखा गया है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं के एक शक्तिशाली दिव्य अस्त्र का प्रतीक है और इसका उद्देश्य एक अचूक समाधान प्रस्तुत करना है.इस पहल के माध्यम से, खेल के ज़रिए युवाओं को नशे से दूर रखकर एक सुरक्षित भविष्य की नींव रखी जा रही है.

इस प्रेरणादायक परियोजना के पीछे मूल रूप से पुणे की रहने वालीं डॉ. योगिता करचे की दूरदृष्टि है.उनका दृढ़ विश्वास है कि आज के युग में आतंकवाद के खिलाफ़ लड़ाई केवल सैन्य कार्रवाई से नहीं जीती जा सकती; इसके लिए युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ना आवश्यक है.'प्रोजेक्ट ब्रह्मास्त्र' युवाओं को विभिन्न गतिविधियों में शामिल करके इस वैश्विक समस्या का एक प्रभावी समाधान निकाल रहा है.

स्वर्गीय जे. ओ. पाटिल फाउंडेशन ने भी 'वाटो ट्रस्ट' के इस महत्वपूर्ण कार्य को मजबूत समर्थन दिया है.इस परियोजना की सबसे बड़ी विशेषता भारतीय सेना द्वारा दिया गया सक्रिय समर्थन है, जो यह दर्शाता है कि सेना न केवल देश की सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि समाज के निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भागीदार है.डॉ. योगिता का संकल्प एक नशा-मुक्त और शक्तिशाली पीढ़ी का निर्माण करना है.

इस संकल्प के बारे में बात करते हुए योगिता कहती हैं, "मेरे पिता ने खाकी वर्दी में देश की सेवा की है.इसलिए, अपराध करने की मानसिकता कैसे बनती है, यह मैं अपने पिता से सुनती आई हूं.इसीलिए मैंने शुरू से ही तय कर लिया था कि मैं अपराध को रोकने की दिशा में काम करूंगी."

वह आगे कहती हैं, "यह काम शुरू करने का दूसरा कारण 26/11का विनाशकारी मुंबई आतंकी हमला था.दुर्भाग्य से, यह दुखद घटना मेरे जन्मदिन पर हुई.मेरे पिता ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अशोक कामटे सर और हेमंत करकरे सर जैसे सभी शहीदों के साथ काम किया था.अशोक कामटे तो एक समय सोलापुर के बहुत प्रसिद्ध आईपीएस अधिकारी थे.

उस समय मेरे पिता एक सहायक पुलिस निरीक्षक (API) थे और उनकी अक्सर मुलाकात होती थी.मैंने पिताजी के मुंह से उनका नाम कई बार सुना था.लेकिन 26/11हमले की खबर सुनकर मुझे गहरा सदमा लगा और उसी समय मैंने इस मुद्दे पर काम करने का फैसला किया."

इस काम के लिए प्रेरित होने के पीछे एक और घटना का जिक्र करते हुए वह कहती हैं, "2015में मैं किसी काम से पंजाब गई थी.उसी साल पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमला हुआ.ऐसी कई घटनाएं मेरे आसपास हो रही थीं.पंजाब में मैंने पहली बार ड्रग्स क्या होता है, इसका अनुभव करीब से किया.वहां के युवा बेहद प्रतिभाशाली हैं, लेकिन फिर भी वे नशीले पदार्थों के आदी हो चुके थे."

वह आगे कहती हैं, "2007में, पुणे में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (SP) विश्वास नांगरे पाटील सर ने छापा मारकर एक बड़ी रेव पार्टी का भंडाफोड़ किया था। मैंने पिताजी से इसके बारे में बहुत सुना था.उस समय पुणे में ड्रग्स के मामले ज़्यादा सुनने को नहीं मिलते थे.लेकिन जब मैं पंजाब आई, तो मुझे एहसास हुआ कि समाज को नारको-टेररिज्म नाम की दीमक बड़े पैमाने पर लगनी शुरू हो गई है."

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'वाटो' की स्थापना…

पंजाब में रहते हुए योगिता ने राजनीति विज्ञान की पढ़ाई की और एक राजनीतिक सलाहकार के रूप में भी काम किया.योगिता बताती हैं, "जब मैं वास्तव में राजनीतिक काम का हिस्सा बनी, तो मुझे समझ आया कि अगर देश का भविष्य बनाना है, तो आज की युवा पीढ़ी पर बारीकी से काम करना ज़रूरी है.और उन्हें सही रास्ता दिखाने की ज़िम्मेदारी हमारी ही है.इसी उद्देश्य के साथ 2024में 'वाटो' की स्थापना हुई."

योगिता अब युवाओं में जागरूकता पैदा करने के लिए कमर कस चुकी हैं.वह कहती हैं, “पहले धार्मिक मुद्दों का इस्तेमाल करके आतंकवाद फैलाया जाता था, लेकिन अब इसका स्वरूप पूरी तरह बदल गया है.आजकल आतंकवादी संगठन 'न्यू एज टेररिज्म' का इस्तेमाल करके सीधे युवाओं को निशाना बनाते हैं.इसमें नारको-टेररिज्म, साइबर-टेररिज्म, और इको-टेररिज्म जैसे प्रकार हैं."

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आतंकवाद का सबसे बड़ा हथियार: ड्रग्स

योगिता बताती हैं कि कैसे आज की युवा पीढ़ी नशीले पदार्थों के जाल में फंसकर अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद का समर्थन कर रही है: “आतंकवादी संगठनों का निशाना युवा होते हैं.ये संगठन भर्ती और फंडिंग के लिए ड्रग्स का इस्तेमाल करके युवाओं को अपने जाल में फंसाते हैं.ड्रग्स आतंकवादियों का सबसे बड़ा हथियार है."

वह आगे कहती हैं, "सोशल मीडिया की आदी हो चुकी युवा पीढ़ी इंस्टाग्राम, फेसबुक के ज़रिए आसानी से साइबर-टेररिज्म का शिकार बन रही है.इसी तरह, इको-टेररिज्म सुनने में आसान लग सकता है, लेकिन इसके बहुत गंभीर परिणाम हैं.आतंकवादी संगठन देश के हाथी दांत, सांप का ज़हर और जानवरों की खाल की तस्करी करके अपना गुज़ारा करते हैं."

देश के सामने नशीले पदार्थों की इतनी बड़ी समस्या को देखते हुए, योगिता ने इसके समाधान के रूप में 'प्रोजेक्ट ब्रह्मास्त्र' शुरू किया.इसके तहत, उन्होंने देश भर में खेल प्रतियोगिताएं आयोजित करना शुरू किया.योगिता बताती हैं, "हम पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को महत्व देते हैं, लेकिन आज की पीढ़ी तेज़ और आधुनिक विचारों वाली है, इसलिए उन्हें उन्हीं के तरीके से इस बारे में शिक्षित करना ज़रूरी है। इसीलिए मैंने खेल का रास्ता चुना."

'खेल' का ब्रह्मास्त्र ही क्यों?

योगिता खुद एक खिलाड़ी हैं.उन्होंने अमेरिका के WWE की शैली पर भारत में आयोजित एक पेशेवर कुश्ती प्रतियोगिता के प्रबंधन में प्रमुख भूमिका निभाई थी.इसलिए, उन्हें विश्वास है कि वह खेल के माध्यम से अपना उद्देश्य पूरा कर सकती हैं.इसी विश्वास के साथ उन्होंने युवाओं में खेल के प्रति रुचि जगाकर उन्हें नशीले पदार्थों से दूर रखने का फैसला किया.

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जब जुनून को मिला उद्देश्य

योगिता ने 'व्हेन पैशन फाइंड्स पर्पज' (जब जुनून को उद्देश्य मिलता है) के नारे के साथ प्रोजेक्ट ब्रह्मास्त्र की शुरुआत मिजोरम से की.वहां उन्होंने एक बास्केटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया, जिसके माध्यम से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सेना में भर्ती होने का अवसर भी मिलेगा.साथ ही, आर्थिक रूप से कमज़ोर खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति दी जाएगी.योगिता कहती हैं, “'वाटो' की एक साल की मेहनत के बाद, लगभग 11देशों के प्रतिनिधि हमसे जुड़ गए हैं."

मिजोरम में शुरू हुई इस पहल की नींव पुणे में रखी गई थी.योगिता ने बताया कि इस पहल को व्यवसायी सौरभ पाटील का बड़ा सहयोग मिला.साथ ही, इस पहल को शीर्ष सैन्य अधिकारियों का मार्गदर्शन और समर्थन मिला.इतना ही नहीं, केंद्र सरकार के 'फिट इंडिया' अभियान, मिजोरम सरकार, नारकोटिक्स विभाग और समाज कल्याण विभाग ने भी 'वाटो ट्रस्ट' का एकजुट होकर साथ दिया है.

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Gen Z की मानसिकता पर काम ज़रूरी

आजकल की युवा पीढ़ी, जिसे Gen Z भी कहा जाता है, को ड्रग्स के नशे में 'हाई' होना 'कूल' लगता है.लेकिन योगिता इसी मानसिकता पर प्रहार करने का काम कर रही हैं.वह कहती हैं, “हम नशा करने वाले हर युवा को यह एहसास दिलाएंगे कि ड्रग्स लेकर वे अप्रत्य-क्ष रूप से एक आतंकवादी संगठन की मदद कर रहे हैं.जब यह अपराधी भावना उनके मन में पैदा होगी, तब कहीं जाकर नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त बंद हो सकेगी."

तेलंगाना सरकार ने योगिता को पहली युवा जैव विविधता सम्मेलन में इको-टेररिज्म विषय पर मार्गदर्शन के लिए आमंत्रित किया था, जो उनके काम की एक बड़ी स्वीकृति है.वर्तमान में, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और पश्चिम बंगाल सहित 18 राज्यों में 'वाटो' के प्रतिनिधि कार्यरत हैं.उनके प्रतिनिधि देश में ही नहीं, विदेश में भी काम करते हैं.युवाओं को नशीले पदार्थों से दूर रखकर देश को मजबूत बनाने की दिशा में योगिता द्वारा उठाया गया यह कदम वास्तव में सराहनीय है