World No Tobacco Day: Know from Dr. Shahida Nagma how harmful tobacco is for women
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
आज के समय में महिलाओं का तंबाकू सेवन बढ़ता जा रहा है ऐसे में आवाज द वॉयस ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर, प्रसिद्ध आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शाहिदा नगमा से महिलाओं को तंबाकू के सेवन से होने वाले गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जाना. उन्होंने बताया कि तंबाकू का सेवन न केवल फेफड़ों और हृदय के लिए हानिकारक है, बल्कि यह महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.

तंबाकू का सेवन महिलाओं के स्वास्थ्य को पुरुषों की तुलना में कैसे अलग और अधिक प्रभावित करता है?
डॉ. शहीदा ने बताया कि तम्बाकू सेवन यदि हम महिलाओं में देखें, तो इससे कई तरह के स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं। सबसे पहला जोखिम यह है कि यूट्रस में संक्रमण (इंफेक्शन) होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही, तम्बाकू शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भी कमजोर करता है क्योंकि यह एक इम्यूनो सप्रेसेंट की तरह काम करता है। इसके कारण शरीर में तरह-तरह के संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है।
अगर हम महिलाओं में इनफर्टिलिटी (बांझपन) की प्रवृत्ति देखें, तो वह भी तम्बाकू सेवन करने वाली महिलाओं में अधिक पाई गई है। जब तम्बाकू सेवन करने वाली महिलाओं और गैर-सेवन करने वाली महिलाओं की तुलना की गई, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि तम्बाकू उपभोग करने वाली महिलाओं में इनफर्टिलिटी का अनुपात कहीं अधिक होता है।
तम्बाकू का सेवन करने से फैलोपियन ट्यूब्स (वे नलिकाएं जिनसे हर माह अंडा गुजरकर यूट्रस तक पहुँचता है) पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके कारण एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (गर्भाशय के बाहर गर्भ ठहरना), गर्भपात (अबॉर्शन) का खतरा, मिसकैरेज और अन्य गर्भ संबंधी जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
अगर तम्बाकू का सेवन करने वाली महिला गर्भवती हो भी जाती है, तो भी कई जोखिम होते हैं जैसे—बच्चे का वज़न सामान्य से कम होना, गर्भावस्था के दौरान जटिलताएं आना और समय से पहले प्रसव (अर्ली लेबर) होना। ये समस्याएं तम्बाकू सेवन करने वाली महिलाओं में सामान्यतः अधिक देखी गई हैं।

महिलाओं में तंबाकू के खतरों को लेकर कौन-कौन से आम भ्रम (myths) होते हैं?
सिर्फ धूम्रपान ही हानिकारक नहीं है, चबाने वाला तम्बाकू भी उतना ही नुकसानदायक है, क्योंकि इसमें मौजूद निकोटिन अंततः रक्त प्रवाह (ब्लड स्ट्रीम) में पहुंच ही जाता है। अगर कोई तम्बाकू का सेवन कर रहा है, तो वह सीधे रक्त में अवशोषित हो रहा है। और अगर कोई धूम्रपान कर रहा है, तो निकोटिन फेफड़ों के माध्यम से भी रक्त में पहुंचता है।
जो महिलाएं मां बनने की कोशिश कर रही हैं, उनके लिए तंबाकू का सेवन कितनी हानि पहुंचा सकता है?
गर्भावस्था के दौरान तम्बाकू का सेवन बच्चे के विकास के लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। जैसा कि मैंने पहले बताया, इसका प्रभाव मां पर तो पड़ता ही है, साथ ही बच्चे की वृद्धि (ग्रोथ) पर भी गंभीर असर होता है। मां के मामले में प्रीक्लेम्पसिया (PIH) विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है और प्री-टर्म लेबर (समय से पहले प्रसव) के चांस भी अधिक हो जाते हैं। बच्चे के मामले में ग्रोथ रिटार्डेशन, जिसे हम FGR (फीटल ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन) कहते हैं, होने की संभावना बढ़ जाती है। कम वजन का बच्चा जन्म ले सकता है और डिलीवरी समय से पहले भी हो सकती है।
क्या गर्भावस्था के किसी विशेष चरण में तंबाकू का असर ज़्यादा गंभीर होता है?
गर्भावस्था की शुरुआत में, अगर हम इसे तीन भागों में बाँटें — पहला ट्राइमेस्टर, दूसरा ट्राइमेस्टर और तीसरा ट्राइमेस्टर —
तो पहला ट्राइमेस्टर वह समय होता है जब गर्भधारण (कंसीव) होने से लेकर लगभग 12 हफ्ते या 3 महीने तक का समय होता है। यह जो अवधि होती है, इसमें बच्चे के अंगों का निर्माण (डिवेलपमेंट) हो रहा होता है माँ के शरीर के भीतर।
अगर इस समय माँ किसी भी तरह के टॉक्सिन्स (हानिकारक पदार्थों) के संपर्क में आती है, तो इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ सकता है। विशेषकर पहले ट्राइमेस्टर और शुरुआती दूसरे ट्राइमेस्टर के दौरान अगर माँ तम्बाकू या किसी और हानिकारक चीज़ के संपर्क में आती है, तो शिशु में जन्मजात विकृतियाँ (congenital malformations) होने की संभावना बढ़ जाती है।
इस समय बच्चा बहुत ही संवेदनशील (प्रोन) होता है ऐसी हानिकारक चीज़ों के प्रभाव के प्रति, क्योंकि उसी समय उसके शरीर के महत्वपूर्ण अंग बन रहे होते हैं।
क्या तंबाकू का सेवन माहवारी (पीरियड्स) में अनियमितता या हार्मोन असंतुलन का कारण बन सकता है?
एक्सेसिव तंबाकु अगर कोई कन्जीूम कर रहे हैं तो उनके पीरेड्स में ज़्यादा दर्द होने के चांसिस हो सकते हैं और अगर कोई इंफेक्शन हो जाता है तो फिर हो सकता है कि पीरेड्स कम भी हो जाए और पीरेड्स समय पे ना आए.
क्या पीसीओएस (PCOS) या एंडोमेट्रिओसिस जैसी स्थितियों में तंबाकू की भूमिका हो सकती है?
PCOS और endometriosis में ये तम्बाकू का जो सेवन कर रहे हैं अगर, तो उनके symptoms और worse हो सकते हैं. PCOS में तो ऐसा नहीं रेखा गया है, जादे तो research papers में, लेकिन अगर endometriosis है, तो endometriosis related जो pain होता है, हो और बढ़ सकता है, ये काफी research papers में प्रूबिन रहे हैं.
क्या आपने युवा महिलाओं में तंबाकू के सेवन में वृद्धि देखी है? इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं?
युवा महिलाओं में तम्बाकू का सेवन अब पहले की तुलना में अधिक हो गया है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक प्रमुख कारण है सामाजिक दबाव या पियर प्रेशर। यदि कोई महिला कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर रही है और उसके आस-पास का माहौल ऐसा है, तो वह उस वातावरण में ढलने की कोशिश करती है। इसी प्रयास में कई बार नई आदतें अपनाई जाती हैं, जिनमें तम्बाकू का सेवन भी शामिल हो सकता है।
इस वजह से यह देखा गया है कि महिलाओं में तम्बाकू का सेवन बढ़ रहा है। इसके अलावा जागरूकता की भी कमी है — बहुत सी महिलाओं को यह जानकारी नहीं होती कि तम्बाकू का सेवन आगे चलकर उनकी फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) पर या स्त्रीरोग संबंधी (गाइनकोलॉजिकल) समस्याओं पर क्या असर डाल सकता है।
यही कारण है कि कई बार लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते और इसे सिर्फ एक ट्रेंड के रूप में अपनाते हैं। इन्हीं वजहों से महिलाओं में तम्बाकू सेवन की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
महिलाओं में तंबाकू छोड़ने के लिए चिकित्सकों की क्या भूमिका हो सकती है?
महिलाओं में तम्बाकू छोड़ने के लिए चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है कि वे इस विषय में जागरूकता फैलाएं। चाहे वे फिजीशियन हों, गायनाकोलॉजिस्ट हों या डाइटीशियन — ये सभी मिलकर एक सहयोगात्मक (कॉलैबोरेटिव) तरीके से मरीज को काउंसलिंग प्रदान कर सकते हैं। उन्हें यह समझाया जा सकता है कि तम्बाकू के सेवन से आगे चलकर फर्टिलिटी से जुड़े क्या समस्याएं हो सकती हैं और मासिक धर्म (मेंस्ट्रुअल) से संबंधित कौन-कौन से इशूज़ सामने आ सकते हैं। इस तरह चिकित्सकों की भूमिका इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है।
जो महिलाएं गर्भवती हैं और तंबाकू छोड़ना चाहती हैं, उनके लिए आपकी क्या सलाह है?
जो महिलाएं गर्भवती हैं और तम्बाकू छोड़ना चाहती हैं, उनके लिए यह ज़रूरी है कि जब वे गर्भधारण की योजना बना रही हों, तभी से उन्हें मानसिक रूप से इसके लिए तैयार (प्राइम) करना शुरू कर देना चाहिए।
अगर वे गर्भवती होने के बाद भी तम्बाकू या अल्कोहल जैसी किसी भी चीज़ का सेवन कर रही हैं, तो उस समय उन्हें समझाना इतना आसान नहीं होता।
अगर दंपति साथ में हैं और पार्टनर सहयोगी (सपोर्टिव) है, तो इसका बड़ा लाभ यह होता है कि महिला के लिए यह प्रक्रिया आसान हो जाती है।
लंबे समय में उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग (साइकोलॉजिकल काउंसलिंग) भी काफी प्रभावशाली साबित हो सकती है।
इस विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर आप महिलाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
अगर आप अपनी जिंदगी में कोई नई चीज का सेवन कर रहीं हैं तो उसके प्रभाव पर भी ध्यान दें.
34 वर्षीय डॉ. शाहिदा नगमा एमबीबीएस, एमएस, डीएनबी, स्वर्ण पदक विजेता और सर गंगा राम अस्पताल से आईवीएफ में उन्नत फेलोशिप प्राप्त विशेषज्ञ हैं. उन्होंने वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल में भी काम किया है. डॉ. नगमा भारत आईवीएफ, दिल्ली में वरिष्ठ आईवीएफ विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं.