आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
टाइप 2 डायबिटीज़ से ग्रसित महिलाएं पुरुषों की तुलना में लगभग दो गुना अधिक संभावना रखती हैं कि उनके दिल में गुप्त नुकसान हो सकता है, जिसे सामान्य जांचों से पकड़ पाना मुश्किल है। यह खुलासा ब्रिटेन के लीसेस्टर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा की गई एक नई स्टडी में हुआ है.
शोधकर्ताओं ने "कोरोनरी माइक्रोवैस्कुलर डिसफंक्शन (CMD)" नामक हृदय की एक गुप्त बीमारी की जांच की, जिसमें दिल की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं में रक्त प्रवाह बाधित होता है. यह स्थिति प्रारंभिक चरण में होती है, बिना किसी स्पष्ट लक्षण के, लेकिन आगे चलकर यह हृदय रोग या हार्ट फेलियर का कारण बन सकती है.
महिलाओं में अधिक जोखिम
शोध में पाया गया कि 46% महिलाएं जो टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित थीं, उनके एमआरआई स्कैन में CMD के संकेत मिले, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा मात्र 26% था. शोध में शामिल सभी प्रतिभागी लक्षणहीन (asymptomatic) थे — यानी उन्हें न तो सीने में दर्द था, न सांस की तकलीफ और न ही कोई अन्य हृदय संबंधी समस्या.
प्रमुख शोधकर्ता और एनआईएचआर प्रोफेसर डॉ. गैरी मैककैन ने कहा, "यह सबसे चिंताजनक बात है कि महिलाओं में हृदय को नुकसान पहुंचाने वाली ये स्थितियां बिना किसी लक्षण के मौजूद हैं और सामान्य मेडिकल जांचें इन्हें पकड़ नहीं पातीं."
लिंग आधारित जोखिम कारक अलग
सह-शोधकर्ता डॉ. गौरव गुल्सिन ने बताया कि पुरुषों और महिलाओं में CMD के कारण अलग-अलग पाए गए. महिलाओं में यह समस्या अधिक वजन (BMI) से जुड़ी थी, जबकि पुरुषों में इसका मुख्य कारण उच्च रक्तचाप (High BP) पाया गया.
डॉ. गुल्सिन के अनुसार, "हमें हृदय रोग के जोखिम आकलन में लिंग-विशिष्ट रणनीति अपनाने की ज़रूरत है। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग इलाज की दिशा में सोचना होगा."
डायबिटीज और हृदय रोग: जुड़ा है गहरा रिश्ता
NIHR लीसेस्टर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के इस बहु-थीम सहयोगी शोध ने दिखाया है कि टाइप 2 डायबिटीज़ के मरीजों में हार्ट फेलियर का जोखिम पहले की अपेक्षा कहीं अधिक और गहरा है, खासकर तब जब रोग स्पष्ट रूप से सामने नहीं आता.
प्रोफेसर मेलानी डेविस CBE, जो इस रिसर्च सेंटर की निदेशक हैं, कहती हैं, "यह रिसर्च हमें इस दिशा में ले जाती है कि कैसे हम बीमारी को पहले चरण में पहचानकर उसका इलाज करें। महिलाओं के लिए वजन कम करना और पुरुषों के लिए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना दिल की बीमारियों से बचाव का रास्ता हो सकता है."
यह अध्ययन डायबिटीज़ से पीड़ित महिलाओं के लिए एक सावधान करने वाली चेतावनी है। यह स्पष्ट करता है कि नियमित जांचें पर्याप्त नहीं हैं और हमें अधिक उन्नत तकनीकों व लिंग-आधारित जोखिम विश्लेषण की ओर बढ़ना होगा। समय रहते की गई रोकथाम की पहल से हृदय रोग जैसे जटिल परिणामों को रोका जा सकता है.
यह रिसर्च हार्ट हेल्थ के नजरिए से महिलाओं के लिए न सिर्फ एक नया दृष्टिकोण पेश करता है, बल्कि हेल्थकेयर सिस्टम को लिंग-विशेष नीतियों पर काम करने के लिए भी प्रेरित करता है.