इस्लाम धर्म में किसी भी तरह के इलाज की मनाही नहीं : जामिया निजामिया के चीफ मुफ्ती मौलाना जियाउद्दीन नक्शबंदी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-05-2024
 इस्लाम धर्म में किसी भी तरह के इलाज की मनाही नहीं : जामिया निजामिया के चीफ मुफ्ती दारुल इफ्ता मौलाना मुफ्ती जियाउद्दीन नक्शबंदी
इस्लाम धर्म में किसी भी तरह के इलाज की मनाही नहीं : जामिया निजामिया के चीफ मुफ्ती दारुल इफ्ता मौलाना मुफ्ती जियाउद्दीन नक्शबंदी

 

आवाज द वाॅयस/ हैदराबाद

जामिया निजामिया के चीफ मुफ्ती दारुल इफ्ता मौलाना मुफ्ती जियाउद्दीन नक्शबंदी ने  कहा कि इस्लाम धर्म में किसी भी तरह के इलाज की मनाही नहीं है. बल्कि पवित्र कुरान में साफ तौर पर आदेश दिया गया है कि ऐ लोगों, अपने आपको विनाश में न झोंको। इसके अलावा इस्लामी शिक्षाओं में स्वास्थ्य प्रणाली के महत्व को भी बार-बार स्पष्ट किया गया और बीमारी की स्थिति में इलाज की सिफारिश की गई. बच्चों के स्वास्थ्य की अनदेखी से बचने के लिए अभिभावकों को मजबूती से जवाब देना होगा.

 इस संबंध में इस्लामी शिक्षाओं में टीकाकरण यानी बीमारी से पहले इलाज को लेकर कहीं भी मनाही नहीं है और इलाज की यह पद्धति शरीयत के खिलाफ नहीं है. इसलिए सभी मुसलमानों की जिम्मेदारी है कि वे बीमारी की स्थिति में इलाज समेत टीकाकरण से परहेज न करें.

जामिया निजामिया के चीफ मुफ्ती दारुल इफ्ता मौलाना मुफ्ती जियाउद्दीन नक्शबंदी मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय  जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग द्वारा  आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में अतिथि के रूप में बोल रहे थे.

स्वस्थ व्यक्ति का दिमाग भी स्वस्थ होता है और मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय युवाओं में स्वस्थ ज्ञान और सोच को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. ये विचार कुलपति प्रोफेसर सैयद ऐनुल हसन ने व्यक्त किए.

 यह कार्यशाला यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित की गई. इस अवसर पर बोलते हुए प्रो. ऐनुल हसन ने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए टीकाकरण आवश्यक है, लेकिन समाज में स्वास्थ्य को बढ़ावा देना भी शिक्षण संस्थानों का कर्तव्य है, जिसमें जल संरक्षण, पर्यावरण की सुरक्षा और स्वस्थ खान-पान की आदतों के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है.

 उनके अनुसार, प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण की रक्षा करके हम सभी सभी का जीवन सुरक्षित बना सकते हैं. प्रो. ऐनुल हसन ने समाज के प्रभावशाली व्यक्तियों को शामिल करके नियमित टीकाकरण प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित कार्यशाला की सराहना की. कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसे और कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए.

 इससे पहले, एमसीजे विभाग के प्रमुख प्रो. मोहम्मद फरयाद ने स्वागत भाषण दिया.कहा कि मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय ने यूनिसेफ के सहयोग से एक परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य "नवजात बच्चों की देखभाल और उनके नियमित टीकाकरण को बढ़ावा देने" के लिए जागरूकता पैदा करना है. इसका उद्देश्य हैदराबाद में नियमित टीकाकरण प्रथाओं को प्रभावशाली व्यक्तियों को शामिल करके बेहतर बनाना है.

 इस संबंध में, विभिन्न धर्मों के नेताओं के साथ-साथ समाज के अन्य प्रभावशाली समूहों के लिए यह प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई थी. प्रो. मोहम्मद फरयाद के अनुसार, कार्यशाला के आयोजन में यूनिसेफ, डब्ल्यूएचओ, तेलंगाना सरकार और माउंट फोर्ट सोशल इंस्टीट्यूट ने अपना सहयोग दिया.

 कार्यशाला को संबोधित करते हुए, तेलंगाना सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण आयुक्त आरवी कर्णन आईएएस ने कहा कि सोशल मीडिया के प्रचार के कारण नियमित टीकाकरण प्रथाओं के लिए चुनौतियां पैदा हुई हैं. क्योंकि अपुष्ट रिपोर्ट सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत तेजी से वायरल हो रही हैं.

 उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी संदेश पर तब तक विश्वास न करें जब तक कि स्वतंत्र स्रोतों द्वारा इसकी पुष्टि न हो जाए. आरवी कर्णन आईएएस ने कहा कि कोविड के दौरान नियमित टीकाकरण प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है. लेकिन उम्मीद है कि सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और सभी धर्मों के नेताओं के सहयोग से टीकाकरण प्रक्रिया सामान्य हो जाएगी.
 
 इससे पहले यूनिसेफ, दिल्ली के टीकाकरण विशेषज्ञ डॉ. रंगन्नाई ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि बच्चों को आज दिया गया टीकाकरण उनके कल को सुरक्षित बनाता है. इस अवसर पर उन्होंने अपने देश जिम्बाब्वे में टीकाकरण को लेकर स्थिति पर प्रकाश डाला. उनके अलावा माउंट फोर्ट सोशल इंस्टीट्यूट के निदेशक भाई वर्गीस ने भी टीकाकरण में नागरिक और सामाजिक संगठनों की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए.

कार्यक्रम के अंत में मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ. इश्तियाक अहमद ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया और टीकाकरण पर प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने के लिए प्रो. फरयाद को बधाई दी.