New hope for Alzheimer's treatment: Scientists discover more than 200 hidden proteins
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों की जड़ तक पहुंचने की दिशा में वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में 200 से अधिक ऐसे 'गलत तरीके से बने' यानी misfolded proteins की पहचान की है, जो उम्रदराज़ चूहों के दिमाग़ में पाए गए और जो याददाश्त और मस्तिष्क कार्यों में गिरावट का कारण बन सकते हैं.
अब तक अल्ज़ाइमर को लेकर चर्चा आमतौर पर एमिलॉइड (Amyloid) और टाऊ (Tau) प्लाक्स पर केंद्रित रही है, लेकिन यह नई खोज दर्शाती है कि असल खतरा उससे कहीं बड़ा और अदृश्य हो सकता है.
क्या हैं ये 'छुपे हुए' प्रोटीन?
इन misfolded प्रोटीनों की सबसे खास बात यह है कि ये आमतौर पर दिखाई नहीं देते। ये बड़े-बड़े प्लाक्स में इकट्ठा नहीं होते, इसलिए माइक्रोस्कोप से इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है. मगर वैज्ञानिकों का मानना है कि ये मस्तिष्क की सफाई करने वाली प्राकृतिक प्रक्रिया से बच निकलते हैं और धीरे-धीरे दिमागी कार्यक्षमता पर असर डालते हैं.
रसायनशास्त्र के सहायक प्रोफेसर और प्रोटीन वैज्ञानिक स्टीफन फ्राइड के मुताबिक, "एमिलॉइड्स तो सिर्फ शुरुआत है, असल तस्वीर उससे कहीं व्यापक है. हम सैकड़ों ऐसे प्रोटीन देख रहे हैं जो गलत तरीके से बनते हैं लेकिन क्लंप नहीं बनाते, फिर भी मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते हैं."
अध्ययन की प्रक्रिया
शोधकर्ताओं ने 17 दो साल के उम्र वाले चूहों पर यह अध्ययन किया। सभी चूहे एक ही वातावरण में पले-बढ़े थे. इनमें से 7 चूहों ने स्मृति और समस्या-समाधान परीक्षणों में खराब प्रदर्शन किया, जबकि बाकी 10 चूहों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर था. टीम ने इन चूहों के हिप्पोकैम्पस नामक दिमाग़ी हिस्से से 2,500 से अधिक प्रकार के प्रोटीनों की जांच की — यही हिस्सा स्मृति और स्थानिक शिक्षा से जुड़ा होता है. इस विश्लेषण में पाया गया कि जिन चूहों में याददाश्त कमजोर हुई थी, उनमें 200 से ज्यादा प्रोटीन गलत तरीके से मुड़े हुए थे, जबकि बाकी स्वस्थ चूहों में ये प्रोटीन सामान्य थे.
क्यों है यह खोज महत्वपूर्ण?
इस खोज से यह संकेत मिलता है कि दिमाग़ की गिरती हालत सिर्फ प्लाक्स के कारण नहीं, बल्कि दर्जनों अन्य अदृश्य प्रोटीनों की गड़बड़ी के कारण भी हो सकती है. ये प्रोटीन कोशिकाओं की निगरानी प्रणाली को चकमा देकर बच निकलते हैं, जिससे बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है. अब तक वैज्ञानिक मानते थे कि सिर्फ एमिलॉइड और टाऊ प्रोटीन ही misfolded होकर नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. शोधकर्ता अब इन प्रोटीनों को हाई-रिज़ोल्यूशन माइक्रोस्कोप के ज़रिए और गहराई से समझने की कोशिश करेंगे, ताकि यह जाना जा सके कि ये प्रोटीन कैसे अपने गलत आकार में काम करने लगते हैं और कैसे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं.
लाखों बुज़ुर्गों के लिए उम्मीद
यह अध्ययन उन करोड़ों लोगों के लिए आशा की नई किरण है जो उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त खोने और मानसिक क्षमताओं के कमज़ोर होने जैसी समस्याओं से जूझते हैं. शोधकर्ता मानते हैं कि अगर इन छुपे हुए प्रोटीनों को समय रहते पहचाना और नियंत्रित किया जाए, तो अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों का न सिर्फ इलाज, बल्कि उनकी रोकथाम भी संभव हो सकती है.
स्टीफन फ्राइड का कहना है, "हम में से कई लोगों ने अपनों को मानसिक रूप से कमजोर होते देखा है. अगर हम जान पाएं कि दिमाग़ में असल में हो क्या रहा है, तो बेहतर इलाज और रोकथाम की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं."
Disclaimer : यह खोज Science Advances जर्नल में 11 जुलाई 2025 को प्रकाशित हुई है.