आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय (UNSW) के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है, जो यह समझने में मदद कर सकती है कि मानव शरीर की कोशिकाएँ वसा को किस प्रकार नियंत्रित और संग्रहित करती हैं। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने CHP1 नामक एक अहम प्रोटीन की पहचान की है, जो इस प्रक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाता है.
अध्ययन के अनुसार, वसा या लिपिड कोशिकाओं के भीतर छोटे-छोटे कक्षों में संग्रहित रहते हैं, जिन्हें लिपिड ड्रॉपलेट्स कहा जाता है। ये ड्रॉपलेट्स ऊर्जा संग्रह और अन्य कई सेलुलर कार्यों के लिए आवश्यक होते हैं.
वैज्ञानिकों ने पाया कि यदि कोशिका से CHP1 को हटा दिया जाए, तो लिपिड ड्रॉपलेट्स का आकार काफी हद तक कम हो जाता है। यह संकेत देता है कि CHP1 कोशिका के भीतर वसा चयापचय (फैट मेटाबॉलिज्म) का एक मुख्य नियंत्रक है.
इस अध्ययन के मुख्य लेखक और UNSW स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोमॉलिक्यूलर साइंस के शोधकर्ता गुआंग यांग ने कहा, “हमारे निष्कर्ष इस जटिल प्रक्रिया को और स्पष्ट करते हैं कि कोशिकाएँ किस तरह से वसा को संग्रहित करती हैं. यह समझना आवश्यक है, क्योंकि इससे मोटापा और मधुमेह जैसी मेटाबॉलिक बीमारियों के समाधान की दिशा में नए रास्ते खुल सकते हैं.
अध्ययन में यह भी सामने आया कि CHP1 सीधे तौर पर उन एंजाइम्स को प्रभावित करता है जिन्हें माइक्रोसोमल GPATs कहा जाता है। ये एंजाइम्स वसा अणुओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार होते हैं। CHP1 न केवल इन एंजाइम्स को स्थिर करता है और सक्रिय करता है, बल्कि उन्हें लिपिड ड्रॉपलेट्स की सतह तक सही जगह पहुंचाता भी है, जहां इनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह खोज कोशिकाओं में वसा के चयापचय को समझने की बुनियादी जानकारी को आगे बढ़ाती है और उन बीमारियों पर भविष्य के शोध के नए अवसर प्रदान करती है, जो असामान्य वसा भंडारण से जुड़ी होती हैं.