Prime Minister Modi's address at the SCO summit: A clear statement on terrorism and global peace
अर्सला खान/नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भारत की ओर से एक मजबूत और स्पष्ट संदेश दिया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने में किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड स्वीकार्य नहीं होंगे. मोदी ने जोर देकर कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ किसी एक देश की नहीं, बल्कि पूरी मानवता की साझा जिम्मेदारी है.
पहलगाम आतंकी हमला और भारत की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले का ज़िक्र कर की. उन्होंने कहा कि यह हमला न केवल भारत की अंतरात्मा पर चोट है, बल्कि दुनिया के हर उस राष्ट्र के लिए चुनौती है, जो शांति और मानवता में विश्वास करता है.
इस हमले के जवाब में भारत ने छह और सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। इस अभियान के दौरान पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्रों में आतंकी ढांचों को निशाना बनाया गया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक झड़पें चलीं, जो 10 मई को संघर्षविराम के साथ समाप्त हुईं.
आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य: मोदी
मोदी ने अपने संबोधन में पाकिस्तान और आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को अप्रत्यक्ष रूप से निशाने पर लिया. उन्होंने कहा –
“यह पूछना स्वाभाविक है कि क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन हमें कभी स्वीकार्य हो सकता है? हमें साफ तौर पर और एक स्वर में कहना होगा कि आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पिछले कई दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है, हजारों परिवारों ने अपनों को खोया है और कई बच्चे अनाथ हुए हैं. इसीलिए भारत आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की वकालत करता है.
एससीओ का नया अर्थ: सुरक्षा, संपर्क और अवसर
प्रधानमंत्री मोदी ने संगठन के महत्व को रेखांकित करते हुए एससीओ के संक्षिप्त नाम का नया अर्थ प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा –
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‘S’ का अर्थ है Security (सुरक्षा),
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‘C’ का अर्थ है Connectivity (संपर्क),
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और ‘O’ का अर्थ है Opportunity (अवसर)
मोदी ने कहा कि सुरक्षा, शांति और स्थिरता किसी भी राष्ट्र के विकास की आधारशिला हैं, लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद इसमें सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं.
चीन की बीआरआई पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी
मोदी ने कनेक्टिविटी पर बोलते हुए कहा कि यह तभी सार्थक है जब यह सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे। उन्होंने चेतावनी दी कि “संप्रभुता को दरकिनार करने वाली कनेक्टिविटी विश्वास और अर्थ खो देती है.
विश्लेषकों का मानना है कि यह टिप्पणी चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के संदर्भ में थी। भारत इसका लगातार विरोध करता रहा है, क्योंकि बीआरआई का एक हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है.
सभ्यता संवाद मंच का प्रस्ताव
प्रधानमंत्री मोदी ने एससीओ देशों के बीच सांस्कृतिक और सभ्यतागत संवाद को बढ़ावा देने का सुझाव भी दिया. उन्होंने कहा कि एक सभ्यता संवाद मंच बनाया जाना चाहिए, जिससे सदस्य देश अपनी प्राचीन परंपराओं, कला और साहित्य की समृद्धि को वैश्विक स्तर पर साझा कर सकें.
ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं पर जोर
अपने भाषण में मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ का विशेष उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका के विकासशील देशों को पुराने ढांचों में बांधना आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय होगा. उन्होंने विकास की नई राहों पर मिलकर आगे बढ़ने की अपील की. मोदी ने कहा कि भारत स्वयं “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता या कोविड-19 जैसी चुनौतियों को अवसर में बदल रहा है.
पुतिन से मुलाकात और यूक्रेन युद्ध पर चर्चा
शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी द्विपक्षीय वार्ता की. इस दौरान उन्होंने यूक्रेन संघर्ष पर चिंता जताते हुए कहा कि दुनिया जल्द से जल्द इस युद्ध का अंत चाहती है. मोदी ने कहा, “मानवता का आह्वान है कि संघर्ष को समाप्त किया जाए और स्थायी शांति लाने के प्रयास किए जाएं। हम हालिया शांति प्रयासों का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि सभी पक्ष रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ेंगे. मोदी ने पुतिन को दिसंबर में भारत आने का निमंत्रण दिया और कहा कि भारत-रूस संबंध हमेशा कठिन समय में भी मजबूती से खड़े रहे हैं. उन्होंने दोनों देशों के रिश्तों को वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया.
एकता और शांति का संदेश
एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन भारत के स्पष्ट दृष्टिकोण को सामने रखता है. आतंकवाद पर कठोर रुख, कनेक्टिविटी में संप्रभुता का महत्व, ग्लोबल साउथ के विकास की वकालत और यूक्रेन युद्ध पर शांति की अपील – इन सबके जरिए मोदी ने यह संदेश दिया कि भारत केवल अपने हितों के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता की शांति और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है.