मोटापा नहीं, लिवर में जमा चर्बी तय करती है बच्चों के स्वास्थ्य जोखिम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-09-2025
It's not obesity itself, but rather the amount of fat stored in the liver that determines health risks in children.
It's not obesity itself, but rather the amount of fat stored in the liver that determines health risks in children.

 

तेल अवीव [इज़रायल]

इज़रायल के वैज्ञानिकों ने रविवार को एक महत्वपूर्ण शोध के निष्कर्ष साझा करते हुए बताया कि बच्चों में केवल मोटापा ही नहीं, बल्कि लिवर में जमा चर्बी (फैट) ही यह तय करती है कि कौन-से बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

तेल अवीव यूनिवर्सिटी और डाना ड्वेक चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल द्वारा की गई इस स्टडी में सामने आया कि मोटे बच्चे जरूरी नहीं कि बीमार ही हों। बल्कि, उनके लिवर में मौजूद फैट की मात्रा इस बात की प्रमुख पहचान है कि वे भविष्य में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग या लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियों से ग्रसित होंगे या नहीं।

शोधकर्ताओं ने 31 इज़रायली मोटे बच्चों की जांच की ताकि यह समझा जा सके कि कुछ बच्चों में मेटाबॉलिक समस्याएं क्यों होती हैं, जबकि कुछ बिलकुल स्वस्थ रहते हैं। उन्होंने पाया कि जो बच्चे पहले से बीमारियों के लक्षण दिखा रहे थे, उनके लिवर में औसतन 14% फैट था — जबकि स्वस्थ मोटे बच्चों में यह मात्रा केवल 6% थी।

शोध छात्र रॉन स्टर्नफेल्ड ने बताया,"यह एक क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन है, यानी हमने बच्चों की एक ही समय पर गहराई से जांच की। हम कारण और परिणाम के बारे में दावा नहीं कर सकते, लेकिन जो संबंध सामने आया वह काफी महत्वपूर्ण है। इससे पता चलता है कि कुछ मोटे बच्चे पूरी तरह मेटाबॉलिक रूप से स्वस्थ भी हो सकते हैं।”

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उन्नत मैग्नेटिक रेज़ोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (MRS) तकनीक का इस्तेमाल किया, जो MRI स्कैन के दौरान बिना किसी सर्जरी के लिवर में मौजूद फैट को मापती है। यह बच्चों पर की गई कुछ चुनिंदा रिसर्चों में से एक है जिसमें यह तकनीक अपनाई गई। साथ ही, बच्चों के जन्मपूर्व से अब तक के मेडिकल रिकॉर्ड्स की भी समीक्षा की गई।

एक और चौंकाने वाली बात यह रही कि अन्य सामान्यतः माने जाने वाले जोखिम कारक जैसे शरीर के आंतरिक अंगों के पास जमा चर्बी (विसरल फैट) — बीमार और स्वस्थ बच्चों में उसमें कोई विशेष अंतर नहीं पाया गया।
स्टर्नफेल्ड ने कहा,"हमने कई अलग-अलग मापदंडों की जांच की, लेकिन सबसे बड़ा अंतर लिवर फैट में था। जब लिवर में फैट 5.5% से अधिक हो जाता है, तो वह डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, नींद में रुकावट जैसी समस्याओं से जुड़ जाता है। हमें हैरानी हुई कि कुछ मोटे बच्चों के लिवर में फैट की मात्रा सामान्य पाई गई।”

प्रोफेसर यफ्ताच गेपनर, जो इस अध्ययन के प्रमुख थे, ने कहा कि यह निष्कर्ष मोटापे पर नहीं बल्कि आहार की गुणवत्ता (diet quality) पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में संकेत करते हैं।
उन्होंने बताया:"जो बच्चे पहले से बीमार थे, वे ज्यादा सोडियम, प्रोसेस्ड फूड्स, और सैचुरेटेड फैट (विशेषकर रेड मीट) का सेवन कर रहे थे। इससे यह संकेत मिलता है कि यदि बच्चों का वजन कम नहीं भी होता, तब भी सही डाइट से लिवर को स्वस्थ रखकर बीमारियों से बचा जा सकता है। मेडिटेरेनियन डाइट इस मामले में काफी फायदेमंद हो सकती है।”

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