जेनेरिक संस्करणों के कारण भारत में मधुमेह की आम दवा की कीमत में भारी कटौती

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 13-03-2025
Generic versions lead to huge price cuts for common diabetes drug in India
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नई दिल्ली
 
एम्पाग्लिफ्लोजिन नामक मधुमेह की एक सामान्य दवा की कीमत में बड़ी कटौती की गई है. अब इसकी कीमत पहले के मुकाबले लगभग दसवां हिस्सा रह गई है. यह बदलाव तब आया जब कई कंपनियों ने इस दवा के जेनेरिक संस्करण बाजार में उतारे. 
 
एम्पाग्लिफ्लोजिन को जर्मन दवा कंपनी बोहरिंगर इंगेलहाइम (बीआई) ने विकसित किया था और यह जारडियांस नाम से बेची जाती है. यह मुंह से ग्रहण करने वाली दवा है, जो टाइप-2 मधुमेह के रोगियों के रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) को नियंत्रित करने में मदद करती है.
 
पहले इस दवा की एक गोली लगभग 60 रुपये में मिलती थी, लेकिन अब इसकी कीमत केवल 5.5 रुपये प्रति गोली हो गई है. यह कटौती तब संभव हुई जब मैनकाइंड, अल्केम और ग्लेनमार्क जैसी कंपनियों ने इसके जेनेरिक संस्करण बाजार में लॉन्च किए.
 
मैनकाइंड फार्मा ने कहा है कि उसकी एम्पाग्लिफ्लोजिन दवा अब 10 मिलीग्राम खुराक के लिए 5.49 रुपये प्रति गोली और 25 मिलीग्राम के लिए 9.90 रुपये प्रति गोली की दर से उपलब्ध होगी. कंपनी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव जुनेजा ने कहा, "हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि दवा की कीमत अब उपचार में बाधा न बने."
 
अल्केम कंपनी ने इस दवा को "एम्पानॉर्म" ब्रांड नाम से लॉन्च किया है, जिसकी कीमत मूल दवा के मुकाबले लगभग 80 प्रतिशत कम रखी गई है. कंपनी ने बताया कि इस दवा के पैकेट पर नकली दवाओं से बचाव के लिए विशेष सुरक्षा बैंड लगाया गया है. साथ ही, रोगियों को जागरूक करने के लिए पैक में हिंदी और अंग्रेजी भाषा में मधुमेह प्रबंधन से जुड़ी जानकारी, चित्रों के साथ दी गई है. इसके अलावा, एक क्यूआर कोड भी दिया गया है, जिससे 11 भाषाओं में मधुमेह, हृदय रोग और गुर्दे की बीमारी से जुड़ी अतिरिक्त जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
 
मुंबई स्थित ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने भी एम्पाग्लिफ्लोजिन का एक जेनेरिक संस्करण "ग्लेम्पा" के रूप में लॉन्च किया है. इसके अलावा, "ग्लेम्पा-एल" (एम्पाग्लिफ्लोजिन + लिनाग्लिप्टिन) और "ग्लेम्पा-एम" (एम्पाग्लिफ्लोजिन + मेटफॉर्मिन) नाम से इसकी मिश्रित खुराक वाली दवाएं भी बाजार में उतारी हैं.
 
ग्लेनमार्क फार्मा के अध्यक्ष आलोक मलिक ने कहा, "ग्लेम्पा श्रेणी की यह नई दवा टाइप-2 मधुमेह से पीड़ित मरीजों को किफायती और प्रभावी इलाज का विकल्प देगी, जिससे हृदय रोग से प्रभावित मरीजों का भी बेहतर प्रबंधन हो सकेगा."
 
भारत को मधुमेह की राजधानी कहा जाता है, जहां 2023 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (मधुमेह) के एक अध्ययन के अनुसार, 10 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से ग्रस्त पाए गए.
 
ऐसे में, मधुमेह की दवाओं की कीमत कम करना इस बीमारी के बढ़ते बोझ को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.