आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
जापान के वैज्ञानिकों की खोज से ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़ी रीढ़ की चोटों के उपचार में खुली नई राह
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें शरीर की चर्बी से प्राप्त स्टेम सेल्स की मदद से रीढ़ की हड्डी के फ्रैक्चर को ठीक किया जा सकता है। जापान की ओसाका मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि फैट टिश्यू से निकाले गए स्टेम सेल्स को हड्डी बनाने वाली संरचना में बदलकर रीढ़ की चोटों का सफल उपचार किया जा सकता है।
यह शोध खास तौर पर उन स्पाइनल फ्रैक्चर पर केंद्रित है, जो ऑस्टियोपोरोसिस के कारण होते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर और भंगुर हो जाती हैं, जिससे रीढ़ की कंप्रेशन फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। जापान में बढ़ती उम्र की आबादी के कारण इस बीमारी से प्रभावित लोगों की संख्या 1.5 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है, जिससे सुरक्षित और प्रभावी इलाज की जरूरत और भी बढ़ गई है।
अध्ययन में वैज्ञानिकों ने शरीर की चर्बी से मिलने वाले स्टेम सेल्स, जिन्हें एडिपोज-डिराइव्ड स्टेम सेल्स कहा जाता है, का उपयोग किया। इन कोशिकाओं को तीन-आयामी गोलाकार समूहों यानी ‘स्फेरॉइड्स’ में विकसित किया गया, जिससे उनकी हड्डी बनाने की क्षमता और बढ़ गई। इसके बाद इन स्फेरॉइड्स को हड्डी पुनर्निर्माण में इस्तेमाल होने वाले बीटा-ट्राइकैल्शियम फॉस्फेट नामक पदार्थ के साथ मिलाया गया।