आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
एक नई अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में सामने आया है कि लंबे समय तक जहरीली हवा के संपर्क में रहना नियमित व्यायाम से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभों को काफी हद तक कम कर सकता है। यह शोध यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के नेतृत्व में किया गया है, जिसमें यूके, ताइवान, चीन, डेनमार्क और अमेरिका समेत कई देशों के 15 लाख से अधिक वयस्कों के आंकड़ों का एक दशक से भी ज़्यादा समय तक विश्लेषण किया गया।
अध्ययन में पाया गया कि नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करने से मृत्यु के जोखिम में कमी आती है, लेकिन यह सुरक्षा प्रभाव उन लोगों में कमजोर पड़ जाता है, जो अधिक प्रदूषित इलाकों में रहते हैं। यह असर कैंसर और हृदय रोग से होने वाली मौतों के जोखिम पर भी देखा गया। हालांकि शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि प्रदूषण के बावजूद व्यायाम पूरी तरह बेकार नहीं होता, बल्कि उसका लाभ कुछ हद तक घट जाता है।
शोध में सूक्ष्म कणों यानी पीएम2.5 पर खास ध्यान दिया गया। ये बेहद छोटे कण होते हैं, जो सांस के जरिए फेफड़ों में पहुंचकर रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं। अध्ययन के अनुसार, जहां सालाना औसत पीएम2.5 का स्तर 25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर या उससे अधिक था, वहां व्यायाम के स्वास्थ्य लाभ काफी कमजोर हो गए। दुनिया की करीब 46 प्रतिशत आबादी ऐसे इलाकों में रहती है।
आंकड़ों के मुताबिक, जो लोग हफ्ते में कम से कम ढाई घंटे मध्यम या तीव्र व्यायाम करते हैं, उनमें मृत्यु का जोखिम 30 प्रतिशत तक कम पाया गया। लेकिन अत्यधिक प्रदूषण वाले इलाकों में यह लाभ घटकर 12 से 15 प्रतिशत रह गया। जब प्रदूषण का स्तर 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर पहुंचा, तो खासकर कैंसर से मृत्यु के जोखिम में व्यायाम का लाभ लगभग खत्म हो गया।
शोधकर्ताओं का कहना है कि साफ हवा और नियमित शारीरिक गतिविधि दोनों स्वस्थ जीवन और बेहतर उम्र बढ़ने के लिए ज़रूरी हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग व्यायाम से बचें नहीं, बल्कि वायु गुणवत्ता जांचें, कम प्रदूषित रास्ते चुनें और अधिक प्रदूषण वाले दिनों में व्यायाम की तीव्रता थोड़ी कम रखें।