आवाज द वाॅयस/ नई दिल्ली
महान गायक, अभिनेता, संगीतकार और निर्देशक किशोर कुमार की बहुमुखी प्रतिभा से हर कोई परिचित है। लेकिन उनके जीवन से जुड़ा एक ऐसा दिलचस्प किस्सा है, जिसे शायद बहुत कम लोग जानते हों। यह किस्सा है उस फिल्म का, जिसे उन्होंने सिर्फ़ आयकर (टैक्स) बचाने के इरादे से बनाया था — और जो बाद में उनके करियर की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बन गई।
1958 की बात है
उस समय किशोर कुमार गायकी की दुनिया में चरम पर थे। शोहरत के साथ-साथ उनकी आमदनी भी तेजी से बढ़ रही थी, और उसी रफ़्तार से बढ़ रहा था आयकर विभाग का ध्यान। टैक्स की भारी रकम से बचने के लिए किशोर कुमार ने एक चतुर तरकीब निकाली — एक फिल्म बनाई जाए जो जानबूझकर फ्लॉप हो जाए। फिल्म के घाटे को दिखाकर टैक्स में छूट पाना उनका मकसद था।
इस योजना के तहत उन्होंने बनाई ‘चलती का नाम गाड़ी’
इस फिल्म में उन्होंने खुद मुख्य भूमिका निभाई और अपने दोनों भाइयों — अशोक कुमार और अनूप कुमार — को भी लिया। फिल्म की नायिका थीं उस दौर की सुपरस्टार मधुबाला। किशोर कुमार को यकीन था कि सीमित बजट की यह फिल्म चल नहीं पाएगी, और उन्हें टैक्स से राहत मिल जाएगी।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।
‘चलती का नाम गाड़ी’ दर्शकों को इतनी पसंद आई कि वह ब्लॉकबस्टर बन गई
फिल्म का हर पहलू — कहानी, संगीत, हास्य और अभिनय — दर्शकों को खूब भाया। नतीजा ये हुआ कि सिर्फ़ 35 लाख टका के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर लगभग 2.5 करोड़ टका की ज़बरदस्त कमाई कर ली। फिल्म न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गई।
मजेदार बात ये है कि टैक्स बचाने की कोशिश में किशोर कुमार को और ज़्यादा टैक्स देना पड़ गया
फिल्म की भारी कमाई के बाद उनकी टैक्स लायबिलिटी बढ़ गई। इस आर्थिक बोझ को थोड़ा हल्का करने के लिए उन्होंने फिल्म के अधिकार अपने निजी सहायक को सौंप दिए — ताकि टैक्स की राशि कुछ कम हो सके।
एक फिल्म जो फ्लॉप होनी थी, वह सुपरहिट बन गई। किशोर कुमार की यह अनजानी दास्तान न केवल उनके हास्य और संगीतमय अंदाज़ को दर्शाती है, बल्कि उनकी ज़िंदगी की अनोखी व्यावसायिक समझ और चंचल सोच की भी एक झलक देती है।