Film Afwaah Review: बिना सच जाने वीडियो वायरल करने वालों, ये आपके लिए

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 20-07-2023
Film Afwaah Review: बिना सच जाने वीडियो वायरल करने वालों, ये आपके लिए
Film Afwaah Review: बिना सच जाने वीडियो वायरल करने वालों, ये आपके लिए

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

सोशल मीडिया के दौर में कोई भी विडियो वायरल होना आम है लेकिन उसे शेयर, फॉरवर्ड और रीट्वीट करते वक्त उसका सच जानना हम जरूरी नहीं समझते.

आपको इस बात का अंदाजा तक नहीं होगा की आपके एक फॉरवर्ड मात्र से ही कितने अज्ञान लोग भ्रमित होते हैं और आपकी ही तरह अवफाहों के गहरे जाल में फंस जाते हैं. फिर एक दंगा होता है और कानून को परे रख कुछ गुंडे हरे नोटों के लालच में अनगिनत मासूमों की जान लेते हैं, उनके घर तबाह कर देते हैं, उनका जीना दुशवार कर देते हैं.

इन दिनों बॉलिवुड में लव स्टोरी और एक्शन फिल्म्स का बोलबाला है लेकिन समाज को जागरूक करने के लिए इस बिच 5 मई 2023 को सुधीर मिश्रा की रिलीज़ हुई फ़िल्म 'अफवाह' समाज के लिए एक सबक है.

फिल्म ‘अफवाह’ शुरू होती सियासी भंवरजाल में अफवाहों के मायाजाल से. धर्म केंद्रित राजनीति में एक उभरते नेता का करीबी चमचा एक कसाई को उसकी दुकान में घुसकर मार देता है.

फिल्म ‘अफवाह’ मोबाइल के खतरनाक (बिना सोचे समझे) इस्तेमाल पर केंद्रित फिल्म है. कैसे दूसरों की परेशानी में अपना सुख ढूंढने वाला समाज का एक बड़ा हिस्सा वायरल वीडियो के भ्रमजाल में पथभ्रमित हो चुका है, यही फिल्म ‘अफवाह’ का आधार है.

फिल्म अफवाह में दिखाया गया है कि किस प्रकार आप खुद ही अपनी फैलाई हुई अफवाह का शिकार बन सकते हैं.

फिल्म के हीरो नवाजुद्दीन सिद्दीकी हैं. फिल्म ‘अफवाह’ की कहानी के केंद्र में एक बड़े नेता की बेटी है. यह किरदार भूमि पेडनेकर ने निभाया है.

सोशल मीडिया के सहारे राष्ट्रीय राजनीति में चमकने की कोशिश करते एक युवा नेता का जब जब जमीनी हकीकत से सामने होता है, उसकी उड़ान औंधे मुंह गिरती है.

मॉरीसियो विदल ने राजस्थान जैसे बेहतरीन लोकेशन वाले राज्य को बहुत ही औसत तरीके से परदे पर पेश कर दिया है. रात के अंधेरे में दृश्यों के फिल्मांकन के समय उनकी लाइटिंग टीम भी उनकी बहुत मददगार नहीं दिखती. अतानु मुखर्जी का संपादन फिल्म की गति बनाए रखने की कोशिश में काफी हद तक कामयाब है.

फिल्म अफवाह उनको अवश्य देखनी चाहिए जो धर्म के ठेकेदार बने बैठे हैं और बिना पुख्ता जानकारी के झुंड में देश सुधारने के लिए निकल पड़ते हैं. बेशक उनकी खुद की जिंदगी कितनी खड्डे में है इस जानकारी के बिना ही किसी फर्जी नेता की हथेली पर अपनी जान तक न्योछावर करने को तैयार हो जाते हैं. जिससे देश में अशांति का माहोल पैदा होता है.