कान्स/नई दिल्ली
दिग्गज भारतीय अभिनेत्रियां शर्मिला टैगोर और सिमी गरेवाल ने सोमवार रात फ्रांस में जारी 78वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में मशहूर फिल्मकार सत्यजीत रे की क्लासिक बंगाली फिल्म ‘अरण्येर दिन रात्रि’ की स्क्रीनिंग में भाग लिया.
इस प्रतिष्ठित समारोह के Cannes Classics खंड में इस 1970 की फिल्म का 4K में रीस्टोर किया गया संस्करण प्रदर्शित किया जा रहा है. इस फिल्म का अंग्रेज़ी शीर्षक "Days and Nights in the Forest" है.
रेड कार्पेट पर शर्मिला टैगोर पारंपरिक हरे रंग की साड़ी में बेहद शालीन अंदाज़ में नज़र आईं. उनके साथ उनकी बेटी और आभूषण डिज़ाइनर सबा पटौदी भी थीं, जिन्होंने पीले रंग का पारंपरिक परिधान पहना हुआ था.
टैगोर के साथ उनकी सह-कलाकार सिमी गरेवाल भी पहुंचीं, जिन्होंने सफेद रंग के अपने सिग्नेचर अंदाज़ में भारतीय डिज़ाइनर Karleo के गाउन में शिरकत की.
रेड कार्पेट पर हॉलीवुड के नामचीन फिल्म निर्देशक वेस एंडरसन भी मौजूद थे, जो इस फिल्म के छह वर्षों तक चले रिस्टोरेशन प्रोजेक्ट के प्रमुख रहे. एंडरसन, जो लंबे समय से सत्यजीत रे के प्रशंसक रहे हैं, ने फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले इसे औपचारिक रूप से प्रस्तुत किया.
‘अरण्येर दिन रात्रि’ शहरी जीवन, वर्ग भेद और आधुनिकता जैसे विषयों को छूती है. यह फिल्म चार शहर के युवकों की कहानी है जो छुट्टी मनाने झारखंड के पलामू के जंगलों में जाते हैं, लेकिन वहां वे आत्म-चिंतन और खोज की यात्रा पर निकल पड़ते हैं.
इस फिल्म में शर्मिला टैगोर ने एक आधुनिक और सौम्य शहर की युवती ‘अपर्णा’ की भूमिका निभाई है, जबकि सिमी गरेवाल ने एक संथाल जनजाति की लड़की ‘डुली’ का किरदार निभाया है.
फिल्म को द फिल्म फाउंडेशन के वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट द्वारा इटली स्थित L'Immagine Ritrovata प्रयोगशाला में रीस्टोर किया गया. इसमें फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (FHF), Janus Films और Criterion Collection की भागीदारी रही. इस परियोजना को गोल्डन ग्लोब फाउंडेशन से वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ.
स्क्रीनिंग के मौके पर निर्माता पूर्णिमा दत्ता, द फिल्म फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक मार्गरेट बॉडे और एफएचएफ के संस्थापक शिवेंद्र सिंह डुंगरपुर भी उपस्थित रहे.
यह फिल्म प्रसिद्ध लेखक सुनील गंगोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित है. इसमें सौमित्र चटर्जी, शुभेंदु चटर्जी, समित भांजा, रबी घोष और अपर्णा सेन जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों ने भी अभिनय किया था.
गौरतलब है कि पिछले साल इसी खंड में श्याम बेनेगल की फिल्म ‘मंथन’ (1976) का 4K रीस्टोर्ड संस्करण दिखाया गया था. इससे पहले अरिबम श्याम शर्मा की मणिपुरी फिल्म ‘इशानौ’ (1990) और जी अरविंदन की मलयालम फिल्म ‘थंप’ (1978) को भी Cannes Classics खंड में शामिल किया जा चुका है.