जेएनयू पर लिखी किताब में क्या कहा गया !

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 09-07-2021
जेएनयू
जेएनयू

 

आवाज द वाॅयस नई दिल्ली

सत्ता में चाहे कोई भी दल हो, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) शायद ही कभी खबरों से दूर रहा हो. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से, एक ऐसे स्थान के रूप में पेश किया जा रहा है जहां अक्सर वामपंथियों और दक्षिणपंथियों के बीच भिड़ंत होती रही है.  जबकि यह एक ऐसी संस्था है जो छात्रों को अत्याधुनिक शिक्षा प्रदान करने में सहायक रही है.

कुछ ऐसा ही लेखक जे सुशील की किताब में भी देखी जा सकती है.कलिंग साहित्य महोत्सव ने हाल ही में लेखक और जेएनयू के पूर्व छात्र और प्रोफेसर विभावरी के बीच ‘भाव संवाद‘ का आयोजन किया.

बातचीत के दौरान सुशील ने जोर देकर कहा कि जहां विश्वविद्यालय को आकार देने में वामपंथी दलों ने अहम भूमिका निभाई, वहीं वहां की कमियों की जिम्मेदारी भी उसे खुद उठानी चाहिए.

ई-बुक के रूप में उपलब्ध सुशील का काम 20साल का संस्मरण है. जेएनयू से एमए और एमफिल पूरा करने वाले लेखक ने 2016में कन्हैया कुमार की गिरफ्तारी के बाद यह लिखना शुरू किया था. तब जब सोशल मीडिया पर संस्था के खिलाफ बातें चल रही थीं.

सुशील ने बातचीत का समापन यह कहते हुए किया कि जेएनयू वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधाराओं का युद्धक्षेत्र नहीं, बल्कि वास्तव में एक ऐसा स्थान है जिसने दुनिया भर के विश्वविद्यालयों को कुछ बेहतरीन शिक्षक दिए हैं.