नई दिल्ली,
हिंदी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और नागरी लिपि परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में विनोबा भावे जयंती के अवसर पर नागरी दिवस समारोह आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. नीरज कुमार के स्वागत भाषण से हुई। उन्होंने कहा कि देवनागरी लिपि को बढ़ावा देने के लिए यह आयोजन ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने जामिया द्वारा हिंदी और देवनागरी के विकास में दिए गए योगदान को भी रेखांकित किया। तत्पश्चात, श्री बाबा कानपुरी की ‘नागरी वंदना’ प्रस्तुत की गई।
डॉ. हरि सिंह ने विषय प्रवर्तन में कहा कि भाषा के नाम पर विवाद हो सकता है लेकिन लिपि के नाम पर विवाद निरर्थक है। उन्होंने कहा कि देवनागरी को स्वीकृत करने से राष्ट्रीय एकता को बल मिलेगा और नागरी लिपि के माध्यम से अन्य भाषाओं को सीखना भी संभव है।
अतिथि वक्ता डॉ. भगवती प्रसाद निदारिया ने ‘वैश्विक लिपि के रूप में नागरी लिपि का सामर्थ्य’ विषय पर कहा कि तकनीक से हिंदी की प्रगति आसान हुई है। श्री सनातन कुमार ने ‘सूचना प्रौद्योगिकी और नागरी लिपि’ पर बोलते हुए कहा कि तकनीकी उपकरणों में हमें देवनागरी का प्रयोग करना चाहिए। डॉ. वेद प्रकाश गौड़ ने कहा कि “भाषा और लिपि हमें सुसज्जित करती है; यह ईश्वर का वरदान है।”
मुख्य अतिथि श्री अनिल कुमार जोशी (पूर्व उपाध्यक्ष, केंद्रीय हिंदी संस्थान) ने कहा कि राष्ट्रभाषा हिंदी को बढ़ावा देने का सबसे बड़ा श्रेय गांधी जी को जाता है। अध्यक्षीय वक्तव्य में नागरी लिपि परिषद् अध्यक्ष एवं पूर्व-कुलपति डॉ. प्रेमचंद पातंजलि ने कहा कि “देवनागरी लिपि के विकास की सबसे बड़ी रुकावट रोमन लिपि है, इसलिए डिजिटल माध्यमों में केवल देवनागरी का ही प्रयोग होना चाहिए।”
इस अवसर पर ‘नागरी संगम’ पत्रिका के स्वर्ण जयंती अंक का विमोचन भी किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आसिफ उमर ने प्रस्तुत किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ और कुलसचिव प्रो. महताब आलम रिज़वी सहित हिंदी विभागाध्यक्ष, हिंदी अधिकारी, शिक्षकों और छात्रों का विशेष आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन अरुण कुमार पासवान ने किया।