अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के राजभाषा हिंदी कार्यान्वयन समिति और हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में फैकल्टी ऑफ आर्ट्स सभागार में हिंदी सप्ताह समारोह का आयोजन हुआ।
मुख्य वक्तव्य देते हुए कोलकाता स्थित बाबा साहेब अंबेडकर एजुकेशन यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रो. सोमा बंद्योपाध्याय ने कहा कि अपनी भाषा माँ के दूध के समान है, जिसका कोई विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हर गंभीर परिस्थिति में इंसान सहज रूप से अपनी मातृभाषा की ओर लौटता है, जो हमेशा एकता का सूत्र बनती है। उन्होंने कहा कि एएमयू और बीएएसईयू दोनों “मिनी इंडिया” का प्रतीक हैं, जहाँ भाषाई विविधता सजीव रूप में दिखाई देती है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हिंदी किसी भाषा के विरोध में नहीं है, बल्कि सभी भाषाओं को साथ लेकर चलती है।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि और एएमयू की कुलपति प्रो. नाइमा ख़ातून ने कहा, “सच्ची भाषा वही है, जो दिल की भावनाओं को दूसरों तक पहुँचा सके।” उन्होंने कहा कि एएमयू का इतिहास बहुभाषी, बहुधार्मिक और बहुवैचारिक परंपराओं का इतिहास है। यहाँ उर्दू की refined तहज़ीब, हिंदी की आत्मीय सरलता, अंग्रेज़ी का वैश्विक दृष्टिकोण और अरबी-फ़ारसी की विद्वत्ता एक साथ सांस लेती हैं। यह हमारी यूनिवर्सिटी की वह आत्मा है, जो सिखाती है कि भाषा दीवार नहीं, पुल है; यह पहचान का ताला नहीं, संवाद की कुंजी है।
प्रो. ख़ातून ने आगे कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा और डिजिटल ह्यूमैनिटीज़ ने ज्ञान के नए क्षितिज खोले हैं, ऐसे में भाषा की भूमिका और भी गहरी हो गई है। उन्होंने कहा, “तकनीक तभी नैतिक होगी जब वह हमारी ज़मीनी भाषाओं से सीखे। इसलिए उद्देश्य सिर्फ हिंदी के प्रयोग को बढ़ाना नहीं है, बल्कि आधुनिकता, विज्ञान और नवाचार के लिए हिंदी में एक नया शब्द-संस्कृति विकसित करना है।”
स्वागत भाषण में हिंदी विभाग की अध्यक्ष प्रो. तसनीम सुहैल ने कहा कि हिंदी सिर्फ भाषा नहीं, बल्कि हमारी पहचान और संस्कृति की आत्मा है। उन्होंने कहा कि राजभाषा कार्यान्वयन समिति इस आत्मा को प्रशासन और संस्कृति दोनों में जीवित रखने के लिए संकल्पबद्ध है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कला संकाय के डीन प्रो. टी. एन. सतीसन ने कहा कि हिंदी सप्ताह बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक शैक्षणिक समुदाय को और भी समावेशी बनाने में मील का पत्थर सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि एएमयू जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालय में, जहाँ छात्र-शिक्षक पूरे भारत और विभिन्न देशों से आते हैं, वहाँ हिंदी संवाद, समझ और आपसी सौहार्द की साझा डोर बन सकती है।
कार्यक्रम का संचालन संयोजक डॉ. पंकज पराशर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. मेराज अहमद ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर एएमयू प्रोक्तर प्रो. वसीम अली, प्रो. रिज़वान ख़ान, प्रो. शफ़े किदवई, प्रो. एम. आशिक़ अली और प्रो. सरिका वर्ष्नेय समेत बड़ी संख्या में शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे।
सप्ताह भर चलने वाले इस समारोह में निबंध लेखन, आधिकारिक पत्र-लेखन, तकनीकी शब्दावली प्रश्नोत्तरी, तात्कालिक भाषण आदि प्रतियोगिताएँ आयोजित होंगी।