जामिया के हिंदी विभाग में ‘नागरी दिवस समारोह’ का भव्य आयोजन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-09-2025
A grand celebration of ‘Nagari Day’ was organized in the Hindi department of Jamia
A grand celebration of ‘Nagari Day’ was organized in the Hindi department of Jamia

 

नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग और नागरी लिपि परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में, नागरी लिपि परिषद् के सत्प्रेरक विनोबा भावे की जयंती के अवसर पर आज ‘नागरी दिवस समारोह’ का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नीरज कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए की। उन्होंने कहा कि देवनागरी लिपि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित यह कार्यक्रम एक ऐतिहासिक पहल है। अपने वक्तव्य में उन्होंने जामिया के हिंदी और देवनागरी के विकास में दिए गए योगदान को भी रेखांकित किया। इसके बाद श्री बाबा कानपुरी की ‘नागरी वंदना’ प्रस्तुत की गई।

डॉ. हरि सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक ऐसा विश्वविद्यालय है जो राष्ट्रीयता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भाषा को लेकर विवाद हो सकता है, लेकिन लिपि को लेकर विवाद निरर्थक है। देवनागरी लिपि को मान्यता देने से राष्ट्रीय एकता मजबूत होगी और इसके माध्यम से अन्य भाषाओं का भी अध्ययन आसान हो सकेगा।

कार्यक्रम में विभिन्न विद्वानों ने अपने विचार रखे।

  • डॉ. भगवती प्रसाद निदारिया ने ‘वैश्विक लिपि के रूप में नागरी लिपि का सामर्थ्य’ विषय पर बोलते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के विकास ने हिंदी और देवनागरी की प्रगति को गति दी है।

  • श्री सनातन कुमार ने ‘सूचना प्रौद्योगिकी और नागरी लिपि’ विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि डिजिटल उपकरणों और तकनीक में हमें देवनागरी लिपि का उपयोग बढ़ाना चाहिए।

  • डॉ. वेद प्रकाश गौड़ ने ‘लिपि विहीन बोली-भाषाओं की लिपि नागरी लिपि’ विषय पर बोलते हुए कहा कि भाषा और लिपि मनुष्य को सुसज्जित करती है और यह ईश्वर का अनुपम वरदान है।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष श्री अनिल कुमार जोशी ने अपने संबोधन में हिंदी और देवनागरी के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी के प्रसार का सबसे बड़ा श्रेय महात्मा गांधी को जाता है।

अध्यक्षीय वक्तव्य नागरी लिपि परिषद् के अध्यक्ष एवं जामिया के पूर्व कुलपति डॉ. प्रेमचंद पातंजलि ने दिया। उन्होंने कहा कि देवनागरी लिपि के विकास में सबसे बड़ी बाधा रोमन लिपि है और डिजिटल माध्यमों में हमें केवल देवनागरी लिपि का ही प्रयोग करना चाहिए।

इस अवसर पर ‘नागरी संगम’ पत्रिका के स्वर्ण जयंती अंक का विमोचन भी किया गया।

डॉ. आसिफ उमर ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए नागरी लिपि परिषद् का विशेष आभार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने जामिया के कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ, कुलसचिव प्रो. महताब आलम रिज़वी, हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. नीरज कुमार, हिंदी अधिकारी राजेश कुमार मांझी, विभाग के सभी अध्यापकगण, शोधार्थियों और विद्यार्थियों के सहयोग को रेखांकित करते हुए आभार प्रकट किया।कार्यक्रम का संचालन श्री अरुण कुमार पासवान ने किया।