शारीरिक सीमाएँ नहीं, हौसलों की उड़ान: बिहार में पहली राज्यव्यापी पैरा खेल प्रतियोगिता

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-09-2025
No physical limitations, but flight of courage: First state-wide para sports competition in Bihar
No physical limitations, but flight of courage: First state-wide para sports competition in Bihar

 

नौशाद अख्तर/पटना

बिहार सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य के पैरा-एथलीटों के लिए एक अभूतपूर्व खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया है.यह पहल न केवल सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देती है, बल्कि यह यह साबित करती है कि प्रतिभा किसी शारीरिक सीमा की मोहताज नहीं होती.राजधानी पटना में 15सितंबर से 24सितंबर 2025तक आयोजित की जा रही यह 10-दिवसीय राज्यव्यापी पैरा खेल प्रतियोगिता देश में अपने आप में पहली है, जिसमें 2,111से अधिक दिव्यांग खिलाड़ियों ने भाग लेकर इतिहास रच दिया है.

इस प्रतियोगिता का उद्देश्य राज्य भर के पैरा खिलाड़ियों को उनके पसंदीदा खेलों में भागीदारी का अवसर देना, उनके भीतर आत्मविश्वास का संचार करना और उन्हें सशक्त बनाना है.यह आयोजन खेलों के माध्यम से समाज में समता, समावेशिता और समान अवसरों को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त पहल है.

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प्रतियोगिता में कुल तीन खेल विधाओं को शामिल किया गया है – पैरा एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड), पैरा बैडमिंटन और पैरा तैराकी, जो सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर श्रेणियों में आयोजित की जा रही हैं.इसका आयोजन राज्य के 14जिलों में किया जा रहा है, जबकि प्रतिभागिता सभी 38जिलों के खिलाड़ियों के लिए खुली है.

खिलाड़ियों का पंजीकरण ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया गया है और अब तक 1,797पुरुष एवं 314महिला खिलाड़ियों ने पंजीकरण कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है.विशेष परिस्थितियों में ऑन-स्पॉट पंजीकरण की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी इच्छुक खिलाड़ी अवसर से वंचित न रह जाए.

इस आयोजन के माध्यम से बिहार सरकार न केवल दिव्यांगजनों को सम्मान दे रही है, बल्कि उन्हें खेलों के माध्यम से एक बेहतर जीवन की दिशा में अग्रसर करने का मार्ग भी प्रशस्त कर रही है.राज्य की "मेडल लाओ, नौकरी पाओ" योजना इसका सशक्त प्रमाण है, जिसके तहत राज्य के कई पैरा-एथलीटों को उनकी प्रतिभा के आधार पर सरकारी सेवाओं में नियुक्ति दी गई है.

बिहार के पैरा-एथलीट्स ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार राज्य और देश का नाम रौशन किया है.मुजफ्फरपुर के शरद कुमार, जिन्होंने टोक्यो 2020और पेरिस 2024पैरालंपिक में ऊँची कूद में पदक जीते, बिहार की इस प्रतिभा का चमकता उदाहरण हैं

.इनके अलावा, शैलेश कुमार (पैरा एथलेटिक्स), मोहम्मद शम्स आलम शेख (पैरा तैराकी), झंडू कुमार (पैरा पावरलिफ्टिंग), उमेश विक्रम कुमार, मोहम्मद अरवाज अंसारी और सत्यम (पैरा बैडमिंटन), गोल्डी कुमारी (पैरा एथलेटिक्स) जैसे कई नामचीन एथलीट्स ने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर बिहार को गौरवान्वित किया है.

इस प्रतियोगिता का उद्घाटन पटना स्थित इनडोर स्टेडियम, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण में बड़े ही भव्य रूप से किया गया.इस अवसर पर अनेक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही, जिनमें समाज कल्याण विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी, अंतरराष्ट्रीय पैरा-एथलीट मो. शम्स आलम शेख, झंडू कुमार, दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय के निदेशक योगेश कुमार सागर, अपर आयुक्त नि:शक्तता अंजली शर्मा और बिहार पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. शिवाजी कुमार विशेष रूप से उपस्थित थे.

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सचिव बंदना प्रेयषी ने इस आयोजन को एक ऐतिहासिक अवसर बताया और कहा कि यह प्रतियोगिता न केवल खिलाड़ियों को अपनी शारीरिक और बौद्धिक सीमाओं से परे जाकर अपने सपनों को साकार करने का मंच देगी, बल्कि समाज में समावेशी विकास और समान अवसर प्रदान करने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी.उन्होंने यह भी घोषणा की कि यह प्रतियोगिता अब हर वर्ष आयोजित की जाएगी और इसके लिए समाज कल्याण विभाग हरसंभव सहयोग प्रदान करेगा.

इस कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी मो. शम्स आलम शेख और झंडू कुमार ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया.शेख ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा की गई यह पहल देश में दिव्यांगजनों के लिए आयोजित सबसे बड़ी प्रतियोगिता है और यह दिव्यांग खिलाड़ियों को एक नई दिशा प्रदान करेगी.

दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय के निदेशक योगेश कुमार सागर ने इस आयोजन को केवल एक खेल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि हर बच्चे को अवसर देने की दिशा में एक सशक्त पहल बताया.उन्होंने कहा कि अगले दस दिनों तक चलने वाली यह प्रतियोगिता प्रतिभागियों, उनके अभिभावकों और आयोजकों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगी। यह मंच खिलाड़ियों को अपने व्यक्तिगत संघर्षों से ऊपर उठने, एक-दूसरे से मिलने, सीखने और अपनी क्षमताओं को निखारने का अवसर देगा.

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इस आयोजन की एक और विशेष बात यह है कि यह बिहार के हर कोने से दिव्यांग बच्चों को एक मंच पर लाकर, उन्हें एकजुट करता है.इससे न केवल खेल के क्षेत्र में संभावनाओं का विस्तार होता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, आत्मविश्वास और जागरूकता का माहौल भी तैयार करता है.

बिहार सरकार की यह दूरदर्शी पहल दर्शाती है कि जब नीति-निर्माण में समावेशन को प्राथमिकता दी जाती है, तो उसका परिणाम समाज के सबसे वंचित वर्गों को भी नई ऊँचाइयाँ छूने का अवसर देता है.दिव्यांग खिलाड़ियों को न केवल प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर मिला है, बल्कि उन्हें यह विश्वास भी मिला है कि राज्य उनके साथ है, और उनके प्रयासों को पहचाना जा रहा है.

बिहार ने एक नई शुरुआत की है – एक ऐसा कदम जो भविष्य में हजारों दिव्यांग खिलाड़ियों की उम्मीद, प्रेरणा और आत्मनिर्भरता का आधार बनेगा.