मौलाना मुज्जद्दीदी ने मदरसों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली की जरूरत पर जोर दिया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-12-2023
Maulana Mujaddidi
Maulana Mujaddidi

 

भोपाल. इंडिया इस्लामिक एकेडमी, देवबंद और इस्लामिक रिसर्च सेंटर एजुकेशन एंड वेलफेयर ट्रस्ट ने औरंगाबाद में ‘एजुकेशन एक्सपो 2023’ नामक दो दिवसीय बौद्धिक और शैक्षिक सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें विद्वानों और चयनित लोगों ने भाग लिया. सम्मेलन की अध्यक्षता ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना फजल-उर-रहीम मुज्जद्दीदी ने की.

मौलाना फजल-उर-रहीम मुज्जद्दीदी जयपुर स्थित जामिया-तुल-हिदाया के रेक्टर भी हैं. उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में औरंगाबाद में ‘एजुकेशन एक्सपो 2023’ के आयोजकों को बधाई दी. उन्होंने नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए मदरसों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली को शामिल करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने मदरसों के अधिकारियों से अपील की कि वे वर्तमान युग की आवश्यकताओं को समझें और अपने छात्रों को समाज में कार्य क्षेत्र में भेजने से पहले उन्हें धार्मिक और समकालीन शिक्षा ज्ञान से लैस करते हुए उनके बौद्धिक और शैक्षिक प्रशिक्षण पर ध्यान दें.

मौलाना मुजद्दिदी ने कहा कि ऐसी बौद्धिक और शैक्षिक कार्यशालाएं और मेले आवश्यक हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित किए जाने चाहिए ताकि लोग आधुनिक युग की मांगों और वैचारिक आक्रमण को समझ सकें और इसका मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर सकें. इससे उर्दू भाषा और साहित्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी.

‘एजुकेशन एक्सपो 2023’ में पहला व्याख्यान मेरठ के नदीम अख्तर द्वारा ‘धर्मनिरपेक्षता की वास्तविकता’ विषय पर प्रस्तुत किया गया. उन्होंने प्रचलित धर्मनिरपेक्षता एवं साम्यवाद पर विस्तृत चर्चा की. दूसरा व्याख्यान सेवानिवृत्त मुख्य आयकर आयुक्त अकरम-उल-जब्बार ने ‘अल्पसंख्यक संस्थान और कर मामले’ विषय पर, जबकि दूसरा व्याख्यान ‘नई शिक्षा नीति के आलोक में अरबाब मदारिस की जिम्मेदारी’ विषय पर प्रस्तुत किया. यह एक अत्यधिक शोधपूर्ण व्याख्यान, शिक्षाविद् प्रोफेसर तनवीर अहमद द्वारा दिया गया था.

दूसरे सत्र का पहला व्याख्यान देश के कानूनी विशेषज्ञ एडवोकेट फवाज शाहीन ने ‘धार्मिक संस्थाएँ और कानूनी मामले’ शीर्षक के तहत दिया. उन्होंने उत्पीड़न एवं हिंसा के मामलों के दस्तावेजीकरण की विधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला तथा श्रोताओं द्वारा पूछे गये प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया.

इसके बाद दूसरा व्याख्यान ‘विद्वानों का वैचारिक आक्रमण एवं उत्तरदायित्व’ शीर्षक से इंडिया इस्लामिक एकेडमी, देवबंद के निदेशक मौलाना मेहदी हसन ऐनी कासमी द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित उदारवाद, धर्मनिरपेक्षता, पूंजीवाद जैसी विचारधाराओं पर चर्चा की. प्राच्यवाद, उपनिवेशवाद, अंतर्राष्ट्रीयवाद, वैश्वीकरण, मानवतावाद, नारीवाद, नास्तिकवाद एवं अज्ञेयवाद का विस्तृत परिचय देते हुए किये जाने वाले कार्यों पर प्रकाश डाला.

मौलाना ऐनी ने भारत में प्रचलित विचारों जैसे शुद्धिकरण, घर वापसी, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद, देशभक्ति पर भी विस्तृत बातचीत की और जिहाद, भगवा जाल, धर्मत्याग और आत्मसात जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा की. अंत में उन्होंने विद्वानों के प्रश्नों का उत्तर दिया.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव मौलाना मोहम्मद उमरैन महफूज रहमानी ने धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए इस सम्मेलन के आयोजन के लिए आयोजकों इंडिया इस्लामिक एकेडमी, देवबंद और औरंगाबाद एजुकेशन एक्सपो को धन्यवाद दिया, जिसने सभी को प्रोत्साहित किया. ऐसे बौद्धिक विषयों पर विद्वानों और युवाओं के दिमाग को अपडेट करते हुए लगातार काम करना समय की सख्त जरूरत है.

कार्यशाला की कार्यवाही का संचालन इंडिया इस्लामिक एकेडमी, देवबंद के उप निदेशक मौलाना मरघुबुर रहमान तैयब कासमी ने किया. इस कार्यशाला में औरंगाबाद और मराठवाड़ा के अलावा, महाराष्ट्र और तेलंगाना के चुनिंदा विद्वानों ने भी भाग लिया, विशेष रूप से जामिया-ए-उलूम, अक्कल कुवां के संस्थापक मौलाना गुलाम वस्तानवी ने. कार्यशाला में मोहम्मद मौलाना गुलाम वस्तानवी के बेटे मौलाना फारूक वस्तानवी, मुफ्ती महफूजुर रहमान फारूकी, मौलाना उमर फारूक और बड़ी संख्या में अन्य विद्वान भी मौजूद थे.

गौरतलब है कि यह इंडिया इस्लामिक अकादमी, देवबंद द्वारा आयोजित दूसरी बौद्धिक कार्यशाला थी और इस श्रृंखला को पूरे देश में विस्तारित किया जाएगा.

 

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