नई दिल्ली
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मध्य क्षेत्र के जन स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से गुरुवार को विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय सभागार में “वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण” पर एक व्यापक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम का नेतृत्व जामिया रजिस्ट्रार कार्यालय की स्वच्छता इकाई ने किया और इसमें चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, नगर निकाय प्रशासन, विश्वविद्यालय नेतृत्व, सफ़ाई कर्मियों, स्कूल छात्रों और सामुदायिक प्रतिनिधियों की भागीदारी रही—ठीक वही बहु-हितधारक मॉडल जिसकी आवश्यकता डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोगों की रोकथाम में मानी जाती है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जामिया के माननीय कुलपति प्रो. मज़हर आसिफ़ थे, जबकि रजिस्ट्रार प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी विशिष्ट अतिथि की हैसियत से मंच पर मौजूद रहे। एमसीडी मध्य क्षेत्र जन स्वास्थ्य विभाग से डॉ. पारुल जैन (एंटोमोलॉजिस्ट) और डॉ. नागेश्वर राव (उप-स्वास्थ्य अधिकारी) ने विशेषज्ञ वक्ता के रूप में भाग लिया।
डॉ. पारुल जैन ने अपने विस्तृत कीट-विज्ञान प्रस्तुति में वेक्टर जनित रोगों (VBDs) की बुनियादी समझ, उनके प्रसार की चक्र प्रक्रिया, और दिल्ली—विशेषतः मध्य क्षेत्र—में अधिसूचित मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया मामलों के ताज़ा आँकड़ों पर बात की। उन्होंने बताया कि रोकथाम की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि समुदाय मच्छरों के सूक्ष्म प्रजनन स्थलों—जैसे ठहरा पानी, कूड़ेदान के ढक्कन, प्लास्टिक कंटेनर, कूलर, छतों के गमले तश्तरियाँ—को कितनी जल्दी पहचान कर नष्ट करता है। उनकी स्लाइड प्रस्तुति में वास्तविक तस्वीरें, माइक्रो-हैबिटेट के आरेख और घरेलू नियंत्रण उपायों के चरणवार उदाहरण शामिल थे।
उन्होंने आगे रोग निगरानी, वेक्टर निगरानी, एकीकृत वेक्टर नियंत्रण (IVM) और क्षमता निर्माण में एमसीडी की कार्यप्रणाली समझाई—यानी स्वास्थ्य कर्मियों की नियमित फील्ड विज़िट, लार्वा डेंसिटी सर्वे, स्रोत कमी (source reduction), लक्षित फॉगिंग, और सामुदायिक जनभागीदारी अभियान।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एमसीडी मध्य क्षेत्र के उप-स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नागेश्वर राव ने जामिया को साझेदारी के लिए धन्यवाद दिया और चेतावनी दी कि दिल्ली पिछले साल डेंगू मामलों की ऊँची संख्या से जूझ चुकी है। उन्होंने कहा: “मुझे विश्वास है कि यह कार्यक्रम विशेषतः डेंगू के प्रति जागरूकता बढ़ाने में ज़बरदस्त प्रभाव डालेगा। पिछला साल सबसे ज़्यादा मामलों वाला रहा; उम्मीद है कि इस बार हम उलटा आंकड़ा देखेंगे—हमारे समन्वित प्रयासों से सबसे कम मामले।”
प्रो. आसिफ़ ने एमसीडी टीम को “इतनी गहन, डेटा-समर्थित और दृश्य शिक्षण वाली” प्रस्तुति के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि मच्छरों का प्रजनन रोकना ही रोग रोकथाम का मूल है। उन्होंने विश्वविद्यालय के सफ़ाई कर्मियों के परिश्रम को रेखांकित किया और कहा कि कैंपस की स्वच्छता केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं, सामूहिक अनुशासन है।
उन्होंने छात्रों से अपील की: “अपने आसपास किसी को भी कूड़ा फैलाने न दें। हर छात्र अपने हॉस्टल, विभाग, गलियारे और आसपास की जिम्मेदारी ले। हमारी पहली सुरक्षा वहीं से शुरू होती है।”
मानव और वातावरण दोनों स्तर पर स्वच्छता को जोड़ते हुए उन्होंने कहा: “हमें अपने मन और हृदय को भी स्वच्छ रखना है—स्वच्छ मन ही हमें अपने परिवेश के प्रति संवेदनशील रखेगा।” उन्होंने अंग्रेज़ी कहावत से अपना संबोधन समाप्त किया: “Cleanliness is next to godliness.”
प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिज़वी ने कहा कि यह पहल जामिया, स्वास्थ्य मंत्रालय और एमसीडी के समन्वित सहयोग का परिणाम है और इसे केवल एक कार्यक्रम के रूप में न देखकर सतत अभियान में बदला जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि विशेष रूप से जामिया स्कूल के छात्रों को शामिल किया गया ताकि प्रारंभिक आयु से सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवहार सिखाया जा सके।
उन्होंने आसपास के आरडब्ल्यूए (रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्स) से हाथ मिलाने की घोषणा की और कहा: “दान घर से शुरू होता है—इसी मंत्र को अपनाकर हमें अपने घर, परिसर और आस-पड़ोस को साफ़ रखना होगा ताकि मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया का चक्र टूटे।”
जामिया परिसर में वीबीडी की रोकथाम की निगरानी के नोडल अधिकारी एवं पर्यटन एवं आतिथ्य प्रबंधन विभागाध्यक्ष प्रो. निमित रंजन चौधरी ने स्वागत भाषण में कहा कि अकादमिक संस्थान शोध, प्रशिक्षण और सामुदायिक जागरूकता—तीनों मोर्चों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की अग्रिम पंक्ति में खड़े हो सकते हैं। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय सहयोग के लिए एमसीडी और विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रति आभार जताया।
उनके साथ जामिया के दो अन्य नोडल अधिकारी—डॉ. मोहम्मद फैज़ुल्लाह खान (एसोसिएट प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडीज़ इन एजुकेशन) और श्री हारिस उल हक (शारीरिक शिक्षा शिक्षक)—मंच पर उपस्थित थे। स्वच्छता इकाई से डॉ. अयूब खान (स्वच्छता निरीक्षक), श्री सैयद रज़ी नक़वी (स्वच्छता पर्यवेक्षक) और श्री सैयद मोहम्मद ज़फ़र (स्वच्छता पर्यवेक्षक) भी शामिल रहे, जो जमीनी स्तर पर स्रोत नियंत्रण और ठहरे पानी की जांच अभियानों का मार्गदर्शन करते हैं।
कार्यक्रम का औपचारिक समापन डॉ. फैज़ुल्लाह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों को अपील की कि वे “एक-घर-एक-जाँच” मॉडल अपनाएँ—हर सप्ताह गमले, कूलर, टंकी, छत पर रखे कंटेनर और निर्माणाधीन स्थलों की सफ़ाई।