सुल्ताना परवीन/ पूर्णिया
शिक्षा और रोजगार में देश के सबसे पिछड़े इलाके शुमार होने वाले और मजदूर पैदा करने में अव्वल रहने वाले इलाके सीमांचल को बहुत जल्द एक तोहफा मिलने वाला है. किशनगंज के तौहीद एजुकेशनल ट्रस्ट की तरफ से इमाम बुखारी विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है,जो सीमांचल जैसे पिछड़े इलाके के युवाओं के शिक्षा के द्वार खोलेगा.
तौहीद एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौलाना मतिउर रहमान की कोशिशों का नतीजा है कि इमाम बुखारी विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए बिहार सरकार की तरफ से लेटर ऑफ इंटेट मिल चुका है.
22 साल पहले सोचा गया था नाम
मौलाना मतिउर रहमान कहते हैं कि उनसे पहले उनके पिता मो. अब्दुल मतीन तौहीद एजुकेशनल ट्रस्ट अध्यक्ष थे. उन्होंने ही करीब 22साल पहले किशनगंज में इमाम बुखारी विश्वविद्यालय बनाने के बारे में सोचा था.और यह नाम भी उन्होंने ही रखा है.
कुरान के बाद सबसे प्रसिद्ध किताब ‘सहीयुल बुखारी’के लेखक इमाम बुखारी के नाम पर ही इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है. मौलाना मतिउर रहमान कहते हैं, “अब्बा ने अपनी जिंदगी में इसका नाम सोच लिया था. लेकिन उस समय इसका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका था.
जनवरी 2010में उनका इंतकाल हो गया.”उसके बाद अध्यक्ष के रूप में मतिउर रहमान आए और इस दिशा में काम को आगे बढाया. बता दें कि मौलाना मतिउर रहमान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं, ऑल इंडिया मुस्लिम डेवलपमेंट काउंसिल के सदस्य हैं और इमारते शरिया बिहार, झारखंड और उड़ीसा के भी सदस्य हैं.
फरवरी 2021 में मिला लेटर ऑफ इंटेंट
कई साल की लगातार कोशिशों के बाद 5 फरवरी, 2021 में बिहार सरकार की तरफ से इमाम बुखारी विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए लेटर ऑफ इंटेंट दिया गया. सरकार ने कहा कि दो साल के अंदर एक लाख वर्ग फुट निर्माण करना होगा. उसके बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी. इसी साल के चार अप्रैल को पांच इमारत बनाने की योजना के साथ संगे बुनियाद रखी गई. लेकिन कोरोना के कारण लॉकडॉउन लग गया और निर्माण के काम को रोकना पड़ा.
इमाम बुखारी विश्वविद्यालय के प्रोजेक्ट डायरेक्टर शाह फहद खान कहते हैं, “समय निकलता जा रहा है. हमने सोचा है कि अब जल्द फिर से काम शुरू करेंगे. ताकि दो साल पूरा होने से पहले एक लाख स्क्वायर फिट का निर्माण पूरा हो सके.”
सीमांचल के लोगों को होगा फायदा
बिहार के सीमांचल में चार जिले आते हैं. इन जिलों में मुसलमानों की संख्या को देखें तो पूर्णिया में 38.46 प्रतिशत, कटिहार में 43 प्रतिशत, अररिया में 40 और किशनगंज में 67.70 प्रतिशत मुसलमान रहते हैं.
इन जिलों में रहने वाले मुसलमानों की माली हालत ऐसी नहीं है कि वह बाहर पढ़ने जा सकें. यहां के मुसलमान बाहर सिर्फ मजदूरी करने के लिए जाते हैं. इमाम बुखारी विश्वविद्यालय बनने के बाद इस इलाके के मुसलमानों के लिए शिक्षा हासिल करना बेहद आसान हो जाएगा.
सीमांचल में रहने वाले दूसरे लोगों की माली हालत भी बहुत अच्छी नहीं है. इसलिए यह विश्वविद्यालय उनके लिए भी काफी फायदेमंद साबित होगा.
21 एकड़ जमीन पर पांच इमारत का होगा निर्माण
विश्वविद्यालय के परियोजना निदेशक शाह फहद खान कहते हैं, “फिलहाल पांच इमारतों का निर्माण शुरू होगा. यह निर्माण 21 एकड़ जमीन पर किया जा रहा है. इसके अलावा ट्रस्ट के पास 150 एकड़ जमीन और है, जो विश्वविद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. अभी ट्रस्ट की तरफ से मदरसा चलाया जा रहा है. इसके अलावा दो स्कूल और आईटीआई कॉलेज के साथ अन्य तरह की पढाई भी हो रही है. करीब तीन हजार छात्र छात्राएं यहां पर शिक्षा हासिल कर रहे हैं.”
मदद के लिए आगे आएं लोग
विश्वविद्यालय के काम को आगे बढ़ाने के लिए अभी जो एक लाख वर्ग फुट का निर्माण होना है उसके लिए कहा जा रहा है कि अगर पांच इमारतें चारमंजिला बन जाए तो यह एक लाख स्क्वायर फुट हो जाएगा. इस निर्माण के लिए तय खर्च 1,200 रुपए प्रति स्क्वायर फुट आएगा. ट्रस्ट की तरफ से पर्चा छपवाकर लोगों से इसके लिए मदद मांगी जा रही है. इच्छुक लोग इसके निर्माण में अपना हाथ बंटा सकते हैं.
क्या कहते हैं लोग
पूर्णिया के सामाजिक कार्यकर्ता विजय श्रीवास्तव कहते हैं, “सीमांचल जैसे पिछड़े इलाके के लोगों के लिए इमाम बुखारी विश्वविद्यालय वरदान जैसा होगा. इस अंचल के वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए बेहतर साबित होगा.”
भाजपा कला संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रमंडलीय नेता संजय कुमार मिश्र कहते हैं,“ऐसे लोगों के आगे आने से और शिक्षण संस्थान शुरू होने से सीमांचल का पिछड़ापन दूर होगा. लोग पढ़ेंगे तो जागरूक होंगे, जागरूक होंगे तो अपने अधिकार को समझेंगे और फिर इनको आगे बढ़ने को कोई रोक नहीं सकेगा.”
पूर्णिया नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष और अधिवक्ता शाहिद रजा कहते हैं, “इमाम बुखारी विश्वविद्यालय बन जाने से इस क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा होगा. जो लोग पढ़ना चाहते हैं और पैसों की कमी के कारण पढ़ नहीं पाते हैं वैसे लोग आसानी से शिक्षा हासिल कर सकेंगे. हर तबके के लोगों को फायदा होगा.”