आवाज द वाॅयस /अलीगढ़
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है, जिसकी पहचान उसके शैक्षिक और सांस्कृतिक योगदान से होती है. लेकिन एक खास वर्ग निरंतर इस प्रयास में जुटा रहता है कि एएमयू के वातावरण को सांप्रदायिक रंग देकर बदनाम किया जाए. यह वर्ग लगातार यह दुष्प्रचार फैलाता रहता है कि एएमयू में हिंदू छात्रों के साथ भेदभाव होता है, उनके पर्व-त्योहारों की कद्र नहीं की जाती और उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक समझा जाता है.
हर बार किसी न किसी बहाने यह वर्ग विवाद खड़ा करने की कोशिश करता है. कभी होली मनाने की अनुमति को लेकर सवाल उठाए जाते हैं, तो कभी नवरात्रों में सात्विक भोजन की मांग को मुद्दा बनाया जाता है. अबकी बार दिवाली मनाने को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश हुई, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बार भी संयम और समझदारी के साथ स्थिति को संभालते हुए, ऐसे सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया.
दरअसल, इस वर्ष एएमयू कैंपस में दिवाली मनाने की अनुमति को लेकर शुरू हुए विवाद में नया मोड़ तब आया जब मास कम्युनिकेशन के छात्र अखिल कौशल ने कुलपति को पत्र लिखकर 18 अक्टूबर को एनसीसी के पास के ग्राउंड में दिवाली समारोह आयोजित करने की अनुमति मांगी. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिवाली मनाने पर कोई रोक नहीं लगाई थी, लेकिन 17 अक्टूबर को एक बड़े कार्यक्रम के चलते आयोजन स्थल की सफाई संभव नहीं थी. ऐसे में प्रशासन ने छात्रों से 18 अक्टूबर की बजाय, एक-दो दिन बाद कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया.
इस बीच कुछ छात्रों ने चेतावनी दी कि अगर अनुमति नहीं दी गई, तो वे एएमयू के मुख्य द्वार 'बाब-ए-सैयद' पर दिवाली मनाएँगे. इसका उद्देश्य शायद मुद्दे को राजनीतिक रंग देना और एक बार फिर एएमयू को गलत तरीके से प्रस्तुत करना था. लेकिन विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर प्रोफेसर वसीम अली ने स्पष्ट किया कि दिवाली या किसी भी त्योहार पर कोई प्रतिबंध नहीं है. केवल आयोजन की तारीख को लेकर व्यावहारिक कठिनाई थी, जिसे लेकर छात्रों से सहयोग की अपेक्षा की गई थी.
एएमयू प्रशासन ने अंततः दिवाली समारोह के लिए औपचारिक अनुमति देते हुए यह साफ कर दिया कि संस्थान सभी धर्मों और समुदायों का सम्मान करता है. इस निर्णय के साथ ही यह भी सिद्ध हो गया कि जब भी किसी त्योहार को मनाने की मांग आई है, प्रशासन ने उसे सहर्ष स्वीकार किया है और किसी प्रकार की रुकावट नहीं डाली है.
यह पहला मौका होगा जब एएमयू कैंपस में दिवाली आधिकारिक रूप से मनाई जाएगी. एनसीसी ग्राउंड पर इस आयोजन की इजाज़त देकर विश्वविद्यालय ने न केवल छात्रों की भावनाओं का सम्मान किया है, बल्कि उन लोगों के षड़यंत्रों को भी नाकाम किया है जो बार-बार एएमयू को विवादों में घसीटने की कोशिश करते हैं.
यह घटनाक्रम हमें मार्च 2025 में होली समारोह से पहले हुए विवाद की भी याद दिलाता है. उस समय भी एएमयू प्रशासन पर हिंदू त्योहारों के प्रति असंवेदनशील होने के आरोप लगे थे, लेकिन संवाद के बाद कैंपस में पहली बार होली का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारों के साथ शामिल हुए.
स्पष्ट है कि एएमयू प्रशासन सभी समुदायों के धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करता है. लेकिन हर बार कुछ तत्व ऐसे अवसरों को उकसाकर विवाद खड़ा करने की कोशिश करते हैं. यह ज़रूरी है कि समाज ऐसे प्रयासों को पहचाने और शिक्षण संस्थानों को राजनीति से दूर रखे. विश्वविद्यालयों का उद्देश्य शिक्षा, सद्भाव और संवाद होना चाहिए, न कि विघटनकारी राजनीति का अखाड़ा.
📍HISTORIC! For the first time ever, Aligarh Muslim University (AMU) has allowed Hindu students to celebrate Diwali on campus 🪔
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) October 18, 2025
👉 The AMU administration has granted permission for a Deepotsav inside the NCC Club on October 19 🔥 pic.twitter.com/o4qEifBUu0
एएमयू द्वारा दिवाली समारोह को अनुमति देना केवल एक पर्व को मनाने की इजाजत नहीं है, बल्कि यह एक संदेश है कि यह संस्थान विविधता में एकता की भारतीय भावना को पूरी गंभीरता से निभा रहा है.