दिव्यांगों ने नहीं छोड़ी उम्मीद, पास की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 25-05-2023
दिव्यांगों ने नहीं छोड़ी उम्मीद, पास की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा
दिव्यांगों ने नहीं छोड़ी उम्मीद, पास की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
इंसान एक बार ठान ले तो कुछ भी कर सकता है. कौनकहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों. इस कहावत को सार्थक करते हुए दो उत्साही युवाओं ने कमल कर दिखाया है. दिव्यांग होने के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया और यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 पास कर ली.
 
पांच साल की उम्र में एक बस दुर्घटना में अपना दाहिना हाथ गंवाने वाली तिरुवनंतपुरम की अखिला बी एस ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 पास कर ली है. परीक्षा पास करने पर अखिला बेहद खुश हैं, एक हाथ होने के बावजूद भी अखिला ने हार नहीं मानी और लोगों के सामने एक मिसाल पेश की है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हो, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती.
 
कॉटन हिल गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल के पूर्व प्रधानाध्यापक के बुहारी और सजीना बीवी की बेटी अखिला का 11 सितंबर, 2000 को एक्सिटेंड हो गया था. इस दुर्घटना में उसने कंधे से नीचे अपना दाहिना हाथ खो दिया था. उन्हें जर्मनी के डॉक्टरों से परामर्श करने के लिए कहा गया था. हालांकि, भारत में जर्मनी की एक मेडिकल टीम आई थी और उनकी जांच की थी लेकिन उसके हाथ ठीक नहीं हुए.
 
अखिला ने अपने दैनिक कार्यों को अपने बाएं हाथ से करना शुरू किया. उसने पढ़ाई जारी रखी और बाएं हाथ से ही लिखने की शुरुआत की. उसने उच्चतम अंकों के साथ अपनी बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की. अखिला ने आईआईटी मद्रास से इंटीग्रेटेड एमए किया और उसे बाद उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी.
 
वहीँ मैनपुरी के सूरज तिवारी ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की, जिन्होंने 2017 में गाजियाबाद के दादरी में एक ट्रेन दुर्घटना में अपने दोनों पैरों के साथ-साथ अपने दाहिने हाथ और बाएं हाथ की दो अंगुलियों को खो दिया था.
2017 में गाजियाबाद के दादरी में एक ट्रेन दुर्घटना में 26 वर्षीय ने अपने दोनों पैरों के साथ-साथ अपने दाहिने हाथ और बाएं हाथ की दो अंगुलियों को खो दिया था. परिवार के लिए, यह अत्यधिक निराशा का समय था. उस साल के ठीक पहले, तिवारी के बड़े भाई राहुल की मृत्यु हो गई थी.
 
तिवारी के पिता एक दर्जी और मां गृहिणी हैं, उनके दो अन्य भाई-बहन भी है. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अपने बीएससी की पढ़ाई छोड़ने के बाद मानों उनके जीवन में डिप्रेशन का दौर शुरु हो गया हो. 2020 में, उन्होंने उसी विषय में मास्टर के लिए दाखिला लिया और कोविड के दौरान यूपीएससी परीक्षा का प्रयास करना शुरू कर दिया.