दिल्ली हाईकोर्ट: जामिया कुलपति डॉ. नजमा अख्तर की नियुक्ति के खिलाफ याचिका की खारिज

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 18-05-2023
डॉ. नजमा अख्तर
डॉ. नजमा अख्तर

 

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति के रूप में डॉ नजमा अख्तर की नियुक्ति को बरकरार रखने वाले इसी अदालत की एकल-पीठ के आदेश के खिलाफ अपील गुरुवार को खारिज कर दी. जस्टिस राजीव शकधर और तलवंत सिंह की खंडपीठ ने अपने आदेश में पिछले फैसले को बरकरार रखा और विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एम. एहतेशाम-उल-हक द्वारा दायर अपील खारिज कर दी.

एहतेशाम-उल-हक द्वारा दायर अपील में एकल पीठ के फैसले का विरोध किया गया था, जिसने पहले डॉ अख्तर की नियुक्ति के खिलाफ उसकी याचिका खारिज कर दी थी. खंडपीठ ने फैसला सुनाने से पहले दोनों पक्षों की दलीलों पर गहन विचार किया.

हक ने दावा किया कि अख्तर की नियुक्ति पूरी तरह से अवैध है, क्योंकि कुलपति के चयन के लिए जिम्मेदार सर्च कमेटी अवैधताओं से भरी हुई थी. अपीलकर्ता ने दावा किया कि कुलपति के रूप में डॉ. अख्तर की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया अधिकार का दुरुपयोग थी.

याचिकाकर्ता ने नियुक्ति प्रक्रिया में जामिया मिलिया इस्लामिया अधिनियम, 1988 और यूजीसी के खंड 7.3.0 (विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता और विश्वविद्यालयों तथा कॉलेजों में उच्च शिक्षा मानकों को बरकरार रखने के उपाय) विनियम, 2010 के खुलेआम उल्लंघन करने का आरोप लगाया था.

एकल-न्यायाधीश की पीठ ने 5 मार्च, 2021 को जारी एक फैसले में कहा था कि याचिकाकर्ता नियुक्ति प्रक्रिया में यूजीसी विनियमों या जेएमआई अधिनियम के किसी भी स्पष्ट उल्लंघन को प्रदर्शित करने में विफल रहा है. अदालत ने तब फैसला सुनाया था कि डॉ. अख्तर की नियुक्ति वैध है.

अदालत ने अपने आदेश में कहा था, ..(अदालत का) दायरा निर्णय की न्यायिक समीक्षा तक सीमित है. अदालत का मतलब सिर्फ इस बात से है कि पदधारी नियुक्ति के लिए योग्यता रखता है या नहीं और जिस तरीके से नियुक्ति की गई या क्या अपनाई गई प्रक्रिया न्यायसंगत और उचित थी.