दारुल उलूम की लाइब्रेरी संरक्षित हो , यह दुर्लभ है: यूएसए दूतावास उप सचिव मिशेल एल्म्स

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 07-12-2022
दारुल उलूम देवबंद की लाइब्रेरी संरक्षित करनी चाहिए, यह दुर्लभ है: यूएसए दूतावास की उप सचिव मिशेल एल्म्स
दारुल उलूम देवबंद की लाइब्रेरी संरक्षित करनी चाहिए, यह दुर्लभ है: यूएसए दूतावास की उप सचिव मिशेल एल्म्स

 

आवाज द वॉयस /देवबंद

संयुक्त राज्य अमेरिका दूतावास के राजनीतिक मामलों के उप सचिव मिशेल एल्म्स ने एशिया के महत्वपूर्ण इस्लामिक स्कूल दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद की लाइब्रेरी देखकर मुझे आत्मिक शांति मिली. इस प्रकार के पुस्तकालय दुर्लभ हैं. इसे संरक्षित किया जाना चाहिए.

दौरे से पहले उन्होंने संस्था के महतमीम और शेख हदीस मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी और नायब महतमीम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी से मुलाकात की.अब्दुल खालिक मद्रासी ने दारुल उलूम देवबंद पहुंचने पर मिशेल एल्म्स का स्वागत किया.

इस दौरान मिशेल एल्म्स को बताया गया कि यह संस्था गरीब और पिछड़े मुसलमानों के बीच शिक्षा के मिशन को आगे बढ़ा रही है. इसे इसी उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया था. इसके माध्यम से अंग्रेजों द्वारा चलाए गए धर्मत्याग आंदोलन का मुकाबला किया गया.

उन्होंने बताया कि स्थापना के समय यहां गरीब बच्चों की पढ़ाई के अलावा उनकी सभी जरूरतें पूरा करने का वादा किया था, दारुल उलूम देवबंद आज भी अपने वादे पर अडिग है.मौलाना मद्रासी ने मिशेल एल्म्स को बताया कि दारुल उलूम देवबंद में पढ़ने वाले सभी छात्रों के रहने, खाने और पढ़ाई की मुफ्त व्यवस्था है.

उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद के आंदोलन का ही असर है कि आज दुनिया भर में मदरसों के रूप में इस्लामी अध्ययन के केंद्र स्थापित हैं जिनके माध्यम से धार्मिक विद्यालयों की स्थापना की जाती है.उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद और उसके जैसे तमाम मदरसे पूरी दुनिया को अमन-चौन का संदेश देते हैं. दारुल उलूम देवबंद राष्ट्रीय सेवाओं में मौलिक भूमिका निभाता रहा है.शैक्षिक मिशन के संदर्भ में, दारुल उलूम देवबंद एक विशुद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्थान है, पर इसका किसी भी राजनीतिक संगठन से कोई संबंध नहीं.दारुल उलूम देवबंद के मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा, यह संस्था हमेशा राजनीति से दूर रही है, लेकिन सामाजिक सुधारों से कभी बेखबर भी नहीं रही.

देश की आजादी से लेकर आज तक दारुल उलूम देवबंद और इसके विद्वानों ने देश और राष्ट्र को दिशा दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद का पूरी दुनिया में धार्मिक विज्ञान पढ़ाने के मामले में प्रमुख स्थान है, जबकि अंग्रेजी और कंप्यूटर में उच्च शिक्षा और प्रशिक्षण की भी यहां व्यवस्था है.

संयुक्त राज्य अमेरिका दूतावास के राजनीतिक सचिव मिशेल एल्म्स ने दारुल उलूम देवबंद की तारीफ करते हुए कहा कि यह बड़ी बात है. एक संस्था और उसके स्नातकों की भूमिका इतनी स्पष्ट और पारदर्शी है. उन्होंने कहा कि दारुल उलूम देवबंद शांति और सद्भाव का संदेश देता है और आतंकवाद का विरोध करता है.

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उन्होंने कहा कि विकास का रास्ता शांति के रास्ते से होकर गुजरता है. मिशेल एल्म्स ने कहा कि दारुल उलूम देवबंद की लाइब्रेरी देखकर मुझे आत्मिक शांति मिली. इस प्रकार के पुस्तकालय दुर्लभ हैं. इसे संरक्षित किया जाना चाहिए.

इस दौरान मिशेल एल्म्स ने दारुल उलूम देवबंद की लाइब्रेरी, रशीदिया मस्जिद आदि का भी जायजा लिया. उनके साथ मौलाना अब्दुल मलिक और मुफ्ती मुहम्मदुल्लाह भी थे. मिशेल एल्म्स के साथ अमेरिकी दूतावास में राजनीतिक वैज्ञानिक अभि राम घड़ियाल पटेल भी थे. बाद में मिशेल एल्म्स ने जमीयत उलेमा हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की और कई मुद्दों पर चर्चा की.