राकेश चौरासिया
इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक जकात हर मालदार शख्स पर दीनी फर्ज है. अल्लाह प्रत्येक साहिबे-निसाब को गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए धन का एक हिस्सा दान करने का निर्देश देता है. यह एक धार्मिक दायित्व है और हर मुसलमान पर जकात देना फर्ज है.
जकात लेने वाले कुछ पात्रों की सूची
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गरीब और जरूरतमंद लोग
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कर्जदार
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मुसाफिर
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अनाथ
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विधवाएं
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गुलाम
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शिक्षा प्राप्त करने वाले
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शिक्षालय
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जकात लेने वाले कुछ अपात्र लोगों की सूची
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अमीर लोग
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जो लोग काम करने में सक्षम हैं
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जो लोग कर्ज चुकाने में सक्षम हैं
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जो लोग नशा करते हैं
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जो लोग जुआ खेलते हैं
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जो लोग गलत कामों में शामिल हैं
इस तरह जकात देने से पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि कौन जकात लेने का पात्र है और कौन नहीं.
जकात देते समय विचार करें
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जकात उन लोगों को दी जानी चाहिए जो वास्तव में जरूरतमंद हैं.
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जकात का पैसा किसी भी तरह के गलत काम में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
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जकात खुले दिल से और खुशी-खुशी देनी चाहिए.
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जकात के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप किसी मुफ्ती या आलिम से संपर्क कर सकते हैं.
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आप जकात से संबंधित किताबें और लेख पढ़ सकते हैं.
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आप जकात संगठनों से भी संपर्क कर सकते हैं.
यह भी ध्यान रखें
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जकात देने का समय एक वर्ष का होता है.
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जकात रमजान के महीने में देना सबसे अच्छा है, लेकिन इसे साल के किसी भी समय दिया जा सकता है.
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जकात खुले दिल से और खुशी-खुशी देनी चाहिए.
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जकात एक महत्वपूर्ण धार्मिक दायित्व है और हर मुसलमान को इसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए.
(यह भी ध्यान दें कि यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है और इसे किसी विशेष परिस्थिति में लागू करने से पहले किसी मुफ्ती या आलिम से सलाह लेनी चाहिए.)