आवाज- द वॉयस ब्यूरो/ आगरा
(यह खबर 5 अगस्त, 1945 को हिन्दुस्तानी कम्युनिस्ट पार्टी के साप्ताहिक पत्र लोकयुद्ध में प्रकाशित हुई थी. हमें इसे ज्यों का त्यों पेश कर रहे हैं)
गत 17 जुलाई 1944 को वायसराय की स्पेशल ट्रेन जिसमें गांधीजी शिमला से वर्धा जा रहे थे. यह ट्रेन आगरा से होकर गुजरी. गांधी जी की यात्रा को पूरी तरह तरह से गोपनीय रखा गया था. ट्रेन का समय गुप्त रखा गया था, लेकिन आगरा के कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं को किसी तरह उसका पता लग गया और महादेव नारायण टण्डन के नेतृत्व में वे महात्मा गांधी का स्वागत करने के लिए समय पर स्टेशन पहुँच गए. इस दौरान गांधी जी से लगभग 15-20 मिनट तक बात की.
टण्डन: शिमला सम्मेलन की असपफलता से जनता को बड़ी निराशा हुई है. वह सरकार में परिवर्तन की आशा कर रही थी.
गांधी जी: निराश तो नहीं होना चाहिये. कांग्रेस ने सही नीति अपनायी और अपने राष्ट्रीय स्वरूप को सिद्ध कर दिया.
टंडन: कांग्रेस और लीगी नेता तथा समाचार पत्र एक-दूसरे को दोष देने लगे है. क्या इससे हमारे आपसी सम्बन्ध खराब नहीं होंगे और भविष्य में समझौते की तमाम आशाएँ खत्म न हो जायेगी? और यदि स्थिति इसी तरह बिगड़ती गयी तो क्या देश में गृह-युद्ध और दंगों का खतरा नहीं पैदा हो जायेगा ?
गांधीजी: एक-दूसरे को दोष नहीं देना चाहिए. हाँ, सच्ची बात तो कहनी पड़ेगी. मैं मानता हूँ, गृहयुद्ध की स्थिति पैदा होने का खतरा है. दिल्ली स्टेशन पर मौलाना आजाद के डिब्बे के सामने जो समझ हुआ, वह इसी दिशा में संकेत करता है. परन्तु आपस के झगड़े को शान्त करने के लिए हमें पुलिस को बीच में नही आने देना चाहिये. अगर यदि दंगे होने लगे तो हम क्या कर सकते है ? दंगे तो इस देश में हमेशा होते रहे हैं. हमारे देश में आबादी बहुत है और विविध प्रकार के परस्पर विरोधी विचार वाले लोग रहते हैं.
टण्डन: पुराने जमाने के दंगों की आजकल के दंगों से तुलना नहीं की जा सकती. आजकल तो राजनीतिक और आर्थिक कारणों से दंगे होते है और जब कांग्रेसी और लीगी देशभक्त साथ मिलकर जनता की सेवा करने के बजाय आपस में लड़ने लगेंगे, तब जनता तो दोनों से निराश हो जायेगी. तब उसे कांग्रेसजनों और लीमीयों, किसी के देशप्रेम और ईमानदारी में विश्वास नहीं रहेगा. जनता के कष्ट दस मुझे बढ़ जाएंगे और राष्ट्रीय आन्दोलन टुकड़े-टुकड़े हो जायेगा.
गांधीजी: सही है, हमें कोशिश करनी चाहिये कि ऐसी स्थिति पैदा न होने पाये.
(साभार लोकयुद्ध, हिन्दुस्तानी कम्युनिस्ट पार्टी का साप्ताहिक पत्र, रविवार 5अगस्त, 1945, बम्बई, संपादक गंगाधर अधिकारी)