राकेश चौरासिया
असत्य और आसुरी प्रवृत्तियों के प्रतीक रावण के वध से देवों और अन्य गणों के लिए वातावरण सुगम एवं अनुकूल बनाने के बाद प्रभु श्री राम जिस दिन अपने गृह नगर अयोध्या पहुंचते हैं, उस रात्रि को पुरवासी दीपों की आवली यानी पंक्तिबद्ध दियों का प्रकाश करके उमंग पूर्वक राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी का स्वागत करते हुए उत्सव मनाते हैं. इसके अलावा इसी दिन ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था. इसी तरह इस शुभ दिन में पौराणिक महत्व के कई घटनाक्रम हुए. इसलिए सनातक वैदिक हिंदू धर्म और उसके सहादेर पंथों में भी दिवाली बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. दीपावली की पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसलिए इसमें पूजन सामग्री भी अधिक मात्रा में लगती है, जो पूजा और गृह श्रंगार से संबंधित है.
दीवाली के मौके पर यह सवाल हर साल परेशान करते हैं. दीपावली की पूजा में कौन कौन सी सामग्री लगती है?, दीपावली पूजन की थाली तैयार कैसे करें?, दिवाली पूजा के लिए आवश्यक सामग्री क्या होती? कहीं कोई चीज भूल न जाएं. ताकि पूजन के अवसर पर कठिनाई का आभास हो. इससे बचने के लिए यहां हम पूजा से संबंधित सामग्री सूची और उसके उपयोग के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
लक्ष्मी-गणेश
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश के पूजन का विधान है, क्योंकि इस दिन श्री लक्ष्मी माता सागर मंथन से निकली थीं. गणेश जी शुभंकर हैं. इसलिए लक्ष्मी जी के साथ उनकी भी पूजा होती है. लक्ष्मी-गणेश के साथ श्री राम परिवार का चित्र या प्रतिमाएं भी रख सकते हैं. लक्ष्मी-गणेश की मिट्टी की बनी प्रतिमा बाजार से खरीद कर लाएं. उससे कपड़े से ढंककर रखें.
पूजा की चौकी
दोनों प्रतिमाओं के लिए लकड़ी चौकी लाएं.
लाल कपड़ा
देवी को चौकी बिछाकर लाल कपड़ा बिछाकर ही स्थापित करें.
लक्ष्मी जी के चरण चिह्न
मां लक्ष्मी की पूजा में सोने-चांदी या धातु से निर्मित उनके चरण चिन्हों की भी पूजा होती है.
दक्षिणावर्ती शंख
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा में शंख का विशेष महत्व होता है. बिना शंख के माता लक्ष्मी की पूजा अधूरी मानी जाती है. माता लक्ष्मी की पूजा में दक्षिणवर्ती शंख की पूजा से सुख-समृद्धि आती है. माता लक्ष्मी और दक्षिणवर्ती शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी. इस कारण से दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी जी का भाई माना जाता है. ऐसे में दिवाली पर लक्ष्मी पूजा में दक्षिणावर्ती शंख भी जरूर रखें.
श्रीयंत्र
मां लक्ष्मी की पूजा-आराधना श्रीयंत्र के बिना अधूरी होती है. इसलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा में श्रीयंत्र को जरूर शामिल करें.
पीली कौड़ी और गोमती चक्र
पीली कौड़ी और गोमती चक्र मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय माने गए हैं. ऐसे में दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के दौरान पूजा में पांच पीली कौड़ी और नौ गोमती चक्र जरूर रखें है और अगले दिन इन कौड़ी और गोमती चक्र को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें. माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की तिजोरी कभी खाली नहीं रहती.
कलश
मिट्टी या पीतल का कलश लाएं, जिसका चौकी पर घट स्थापना की जाएगी. कलश में द्रव्य यानी पैसे का सिक्का, कुछ पुष्प और अक्षत जरूर रखें.
दीपक
दीवाली पर सरसों के तेल के दीपक जलाने की परंपरा है. इसलिए आवश्यकतानुसार दीपक लाएं. इनकी संख्या 11, 21, 31, 41, 51 में होनी चाहिए. पिछली दीपावली के दीपक भी धोकर पुर्नउपयोग कर सकते हैं. किंतु नए दिए अवश्य लाएं, चाहे कुछ ही संख्या में. एक बड़ा दीपक लाएं. जो मुख्य रूप से लक्ष्मी-गणेष के सामने प्रज्जवलित किया जाएगा. इन दियों से घर के हर कोने को आलोकित करें.
धूप
देवी-देवताओं को सुगंधि अर्पित करने के लिए धूप लाएं, जो हर्बल हो. सुगंधित वातावरण में पूजा करने से ध्यान की एकाग्रता बढ़ जाती है.
लोंग, इलायची, कपूर
लक्ष्मी-गणेष की आरती लोंग, इलायची और कपूर के धुएं और देसी घी के दीपक से की जाती है. लोंग, इलायची और कपूर का धुंआ वातावरण को विषाणुओं और रोगाणुओं को नष्ट करके सुगंधित करता है. लोभान का प्रयोग न करें. इसका प्रयोग तांत्रित क्रियाओं में होता है, जब प्रेत आदि का प्रसन्न करना हो. सात्विक देवी-देवताओं के पूजन में लोभान का प्रयोग वर्जित है.
पान
लोंग-इलायची लगा पान लक्ष्मी-गणेश को अर्पित करने के लिए पान आवश्यक होता है. कुछ अन्य पान भी लाएं. दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा में पान के पत्ते के ऊपर स्वस्तिक का निशान बनाएं.
सप्त धान्य
देवी को अर्पित करने के लिए अक्षत यानी चावल, गेहूं, जौ, चना, बाजरा, मक्का और ज्वार आदि सात प्रकार के अनाज लाएं. सप्त धान्य की पुड़िया रेडीमेड भी मिलती है.
फल
देवी को पंच ऋतु फलं अर्पित करने का प्रावधान है. इसलिए बाजार में उपलब्ध पांच प्रकार के फल लाएं.
खील-खिलौने और मिठाई
बाजार से खीलें, बतासे, चीनी के खिलौने लाना न भूलें. संभव हो, तो भोग के लिए घर पर ही मिठाई बनाएं, अन्यथा बाजार से भी ला सकते हैं. इन चीजों का बाद में प्रसाद के तौर पर भी उपयोग होता है. दिवाली पर सगे-संबंधी मिलने आते हैं, उन्हें यह प्रसाद दिया जा सकता है. इस प्रसार से समृद्धि और जीवन की मिठास में वृद्धि होती है.
फूल-मालाएं
देवताओं को अर्पित करने के लिए अपनी व्यवस्था के अनुरूप फूल और मालाएं लाएं. देवी लक्ष्मी को पाटल यानी गुलाब की माला लाएं.
कमल पुष्प और कमल गट्टा
देवी कमल के फूल पर विराजती हैं. इसलिए उसे उनके चरणों के पास रखा जाता है. उन्हें कमल गट्टा भी अतिशय प्रिय है. पूजा के बाद अगली सुबह कमल का फूल और कमल गट्टा अपनी तिजोरी में रख लें, तो मां लक्ष्मी की कृपा से आपका कोष बढ़ेगा.
गंगाजल
पूजन से पहले सभी सामग्री पर गंगाजल का छिड़काव किया जाता है. ताकि वह सामग्री पवित्र हो जाए.
नारियल
एक पानीदार नारियल यानी श्रीफल कलश में स्थापित किया जाता है, तो दूसरा नारियल देवी को अर्पित किया जाता है. दिव्यता का प्रतीक यह फल सभी देवी-देवताओं को अर्पित करने योग्य माना जाता है.
गन्ना
गणेश जी की सवारी हस्ती है और हाथी को गन्ना अतिशय प्रिय होता है. गणेश जी के साथ उनकी सवारी हाथी भी आएगी. इसलिए उनका गन्ने से स्वागत करें.
पंच पल्लव
देवी-देवता को दूर्वा यानी दूब घास, आम-पलाश-बकुल-बरगद-पीपल की टहनियां समेत पत्ते अर्पित करें.
औषधियां
यदि आपके यहां परंपरा हो, तो मुरा, जटामासी, बाख, कुष्ठ, शैलेय, हरदी, दारू-हरदी, सूंथी, चंपक और मुस्ता से मिलकर बनने वाली इन दस जड़ी-बूटियों की सर्वोषधि अर्पण के लिए लाएं.
सप्त-मृदा
यदि संभव हो, तो घोड़े और हाथी के अस्तबल, गौशाला, चींटियों के ढेर, नदी संगम, तराई और शाही महल से एकत्रित मिट्टी की सप्त-मृदाएं अर्पित करें.
घंटी
आरती के समय घंटी से वातावरण शांत होता है. यह या तो आपके घर में होगी या बाजार से ला सकते हैं. अष्टधातु की घंटी उत्तम होती है. इसके अलावा आप कांसे या पीतल की घंटी भी ला सकते हैं.
भोग
घर में भोग के लिए खीर और पूड़ी बनाएं. खीर मां लक्ष्मी का प्रिय भोजन है. ऐसे में दिवाली पर मिठाई के अलावा घर पर मेवे से बनी खीर जरूर चढ़ाएं.
जिमीकंद और सीताफल
कुछ परिवारों में दिवाली पर जिमीकंद या सीताफल यानी कद्दू की सब्जी भी बनाई जाती है. प्रभु श्रीराम भाई लक्ष्मण और मैया सीता के साथ बनवास के समय जिमीकंद की ही सब्जी खाते थे. इसलिए दीपावली पर जिमी कंद की सब्जी शुभ मानी जाती है.
आरती की थाली
आजकल पूजा की डिजायनर थालियां भी मिलती हैं. लेकिन वह कम से कम कांसे या पीतल की हो.
बही-खाता
भारत के कई अंचलों में पारंपरिक रूप से व्यापारिक बही-खाते बदले जाते हैं. या फिर पुस्तकों का भी पूजन किया जा सकता है.
रंगोली सामग्री
दिवाली के दिन दक्षिण भारत में घर-आंगन और दरवाजे पर रंगोली बनाने की परंपरा है. इससे आपके घर का सौंदर्य बढ़ जाता है. पूजा क्षेत्र में स्थान के अनुरूप छोटी-बड़ी रंगोली बनाएं. चौक भी पूरें. देवी लक्ष्मी और गणेश जी को भी रंगोल प्रिय है. अब उत्तर भारत में रंगोली की सामग्री मिलने लगी है. रंगोली बनाने के लिए मनभावन डिजायन की किताबें भी मिलती हैं. यूट्यूब भी उपयोग सिद्ध होता है. इससे न केवल वातावरण में रचनात्मका झलकती है, बल्कि सौंदर्य भी खिल उठता है.
धनिया
बहुत से लोग धनिया के बीज खरीदकर घर में रखते हैं. इसे सौभाग्य व सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है.दीपावली पर लक्ष्मी पूजा की थाली में इसे रखते हैं.
इसमें कुछ सामग्री आपके घर में भी उपलब्ध हो सकती है. उसके पूजा स्थान के समीप रख दें. बेहतर हो कि इस सूची को कागज पर नोट कर लें और सामान पूजा स्थान पर एकत्रित करते रहें और जो सामान आ गया हो, उसे टिक करते रहें.
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