सेराज अनवर / पटना
खानकाह रहमानी मुंगेर के मरहूम गद्दीनशीं मौलाना मोहम्मद वली रहमानी की वसीयत के मुताबिक उनके बड़े साहबजादे अहमद वली फैसल रहमानी की सज्जादानशीं के ओहदे पर शुक्रवार को ताजपोशी की गयी है. ताजपोशी समारोह बड़े पैमाने पर होना था, मगर बिहार और देश में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के पेशनजर सादगी के साथ खानकाह स्थित मस्जिद में ताजपोशी की रस्म अदा की गयी. यह रस्म मौलाना वली रहमानी के बेहद करीबी रहे मौलाना उमरैन रहमानी के हाथों निभाई गयी.
अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से आईटी में कॉलेज टॉप करने के साथ इसी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर भी बने. ऑपरेशन मैनेजमेंट के ओहदे पर रहते हुए दर्जनों आर्गेनाइजेशन में अहम भुमिका भी निभा चुके हैं.
हजरत अहमद वली फैसल रहमानी एक प्रतिष्ठित अमेरिकी संस्थान के डायरेक्टर ऑफ स्ट्रेटजिक प्रोजेक्ट भी रह चुके है. इसके आलावा उन्होंने ओरेकल, एडोब, पैसिफिक गैस एंड इलेक्ट्रिक, ब्रिटिश पेट्रोलियम और डिजनी जैसी कंपनियों में विभिन्न जिम्मेदारियां निभाई हैं.
पेशावराना और प्रबंधन की समझ उनकी बातों से ही झलकती है.
इन्होंने इस्लामिक और अरबी की गहरी पकड़ मिस्र के कई इदारों से हासिल की है.
अहमद वली फैसल रहमानी
मरहूम हजरत वली रहमानी के बाद अब खानकाह रहमानी, जामिया रहमानी और रहमानी फाउंडेशन के जिम्मेदार भी फैसल रहमानी ही होंगे.
फैसल लम्बे वक्त तक अमेरिका की सरजमीं पर खिदमत देने के बाद, मुंगेर अपने पिता की विरासत और रियासत के उत्तराधिकारी तय हुए हैं. जो अरबी, अंग्रेजी की अच्छी समझ के साथ दीनी और दुनियावी तालीम दोनों में योग्यता रखते हैं.
खानकाह रहमानी के खिदमतगार इम्तियाज रहमानी आवाज-द वॉयस से कहते हैं, ‘मुझे ये कहते हुए फख्र हो रहा है कि हजरत मौलाना वली रहमानी की वफात के बाद कौम और मिल्लत की पेशानी पर जो फिक्र की लकीर थी. उस लकीर की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. बस जरूरत है, जितना मरहूम मौलाना वली रहमानी के कदम से कदम मिलाकर मिल्लत के लोग चलते थे, उसी रवानी को बनाए रखा जाये. फैसल रहमानी हजरत के सामाजिक कार्यों को आगे बढ़ायेंगे यह हमारी दुआ है.’
अहमद वली फैसल रहमानी
फैसल रहमानी की पांचवें सज्जादानशीं के तौर पर ताजपोशी हुई है. उन्हें परदादा हजरत मौलाना मोहम्मद अली मुंगेरी का इमामा बांधकर और दादा मौलाना मिनतुल्लाह रहमानी का एबा पहनाकर हजरत मुंगेरी की मसनद पर बैठाया गया.
इस अवसर पर मौलाना उमरैन रहमानी, मौलाना हारून रशीद, मौलाना हसिबुर रहमान के अलावा आसाम के अमीर-ए-शरीयत मौलाना यूसुफ अली, कर्नाटक के अमीर-ए-शरीयत मौलाना सगीर अहमद रशादी मौजूद थे. खानकाह मुजीबिया फुलवारी शरीफ सज्जादानशीं ने मशहूद अहमद कादरी के जरिया अपना पैगाम भेजा. इस मौके पर मौलाना मोहम्मद वली रहमानी की तकरीरों का संग्रह ’सदा-ए-वली’ का विमोचन भी किया गया.