कर्नाटकः लाडलापुर दरगाह, हिंदू-मुस्लिम एकता की बेहतरीन मिसाल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-07-2023
कर्नाटकः लाडलापुर दरगाह, हिंदू-मुस्लिम एकता की बेहतरीन मिसाल
कर्नाटकः लाडलापुर दरगाह, हिंदू-मुस्लिम एकता की बेहतरीन मिसाल

 

डॉक्टर शुजाअत अली कादरी  

कर्नाटक में हाल के दिनों में नफरत फैलाने वाले भाषण और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले अपराध के मामले बढ़े हैं, लेकिन कलबुर्गी से 50 किलोमीटर दूर एक छोटा सा शहर सांप्रदायिक सद्भाव की बेहतर मिसाल पेश कर रहा है.

लाडलापुर गांव खुले मैदानों के बीच स्थित है. गांव के मध्य में एक छोटी सी पहाड़ी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. यह पहाड़ी सूफी संत हाजी सरवर की दरगाह के लिए प्रसिद्ध है. यहां हिंदू और मुस्लिम एक साथ इबादत-पूजा करते हैं.
 
हाजी सरवर की दरगाह कर्नाटक के गुलबर्गा (कलबुर्गी) जिले में नलवार (6 किमी) और वाडी (9 किमी) के पास एक छोटे से गांव लाडलापुर में स्थित है. यह स्थान हिंदू और मुस्लिम दोनों के लिए महत्व रखता है. हर साल अप्रैल और मई के महीने में वार्षिक उर्स आयोजित होता है, जिसमें लाखों अकीदतमंद शिकरत करने दरगाह पर आते हैं.
 
 आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, महाराष्ट्र, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु, हैदराबाद और पूरे कर्नाटक से लोग यहां आशीर्वाद लेने आते हैं. सरकार को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासनिक व्यवस्था करनी पड़ती है. हालांकि यहां पीने के पानी की समस्या है.
 
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दरगाह एक छोटी पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी चोटी पर बहुत छोटा एरिया है. समय के साथ यहां कई तरह की व्यवस्था की गई है. जैसे सीढ़ियां और दरगाह क्षेत्र के पास रास्ते और चोटी पर रेलिंग का निर्माण. उर्स गुलबर्गा और यादगीर जिलों समेत पूरे कर्नाटक में बहुत मशहूर और लोकप्रिय है.
 
मान्यता है कि एक बूढ़ा व्यक्ति सुदूर उत्तर से यात्रा करते हुए गांव का दौरा कर रहा था. जब उसकी मुलाकात दो बच्चों से हुई .एक हिंदू और दूसरा मुस्लिम. उस आदमी ने बच्चों से एक गिलास दूध और एक गिलास पानी मांगा. उनकी मेहमान नवाजी को स्वीकारने के बाद, उन्होंने अपने हाथ धोने के लिए पानी का इस्तेमाल किया और फिर दूध का गिलास नीचे गिरा दिया.
 
उन्होंने बच्चों को आशीर्वाद दिया और यात्रा जारी रखने का फैसला करते हुए उन्हें दूर देखने के लिए कहा. और अधिक श्रद्धा के साथ बच्चे, पवित्र व्यक्ति की ओर देखने के लिए पीछे मुड़े, लेकिन उन्हें एक विशाल पहाड़ी दिखाई दी.
 
कहा जाता है कि मंदिर इसी पहाड़ी पर बनाया गया. हाजी सरवर दरगाह पर सभी समुदाय के लोग उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने आते हैं. हाल में आयोजित गांधोत्सव में, चित्तपुरा के लाडलापुर गांव के हिंदू और मुस्लिम जश्न मनाने के लिए एक साथ आए. जबकि इस गांव के मुसलमान संत को सरवर कहते हैं. हिंदू उन्हें शरणु से संबोधित करते हैं. शरणु, लिंगायतों के बीच शिव भक्तों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है.
 
हर साल, उगादि के बाद पहली पूर्णिमा के पहले गुरुवार को पांच दिवसीय गंधोत्सव मनाया जाता है.हिंदू कैलेंडर के अनुसार, उगादि नए साल का दिन है.इसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गोवा राज्यों में मनाया जाता है.
 
उत्सव में सबसे पहले पांच कलश और दो चांदी के घोड़े पहाड़ी के नीचे स्थित हिरोदेश्वर मंदिर में लाए जाते हैं. फिर इन चीजों को दरगाह के शीर्ष पर ले जाया जाता है, जहां मुस्लिम उलेमा कुरान की आयतों का पाठ करते हैं. हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मगुरूओं को फूल चढ़ाए जाते हैं.
 
मुस्लिम अकीदतमंदों के अनुसार, सूफी हाजी सरवर का जश्न सभी मनाते हैं. जात्रे (गांव का त्योहार) गांव के लिए महत्वपूर्ण उत्सव है. जात्रे पांच दिनों तक मनाया जाता है. पड़ोसी जिलों के लोग खिलौने, फल और फूल बेचने के लिए यहां अपनी दुकानें लगाते हैं.